1984 सिख विरोधी दंगे के दोषी सज्जन कुमार ने कड़कड़डूमा कोर्ट में किया सरेंडर, उम्र कैद की हुई है सजा

By रामदीप मिश्रा | Published: December 31, 2018 02:40 PM2018-12-31T14:40:39+5:302018-12-31T14:40:39+5:30

हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को मामले में सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में फैसला सुनाते हुए भी दोषियों को 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने का समय दिया था। पूर्व पार्षद बलवान खोखर, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को भी इस मामले में दोषी ठहराया था।

1984 anti Sikh riots case: Sajjan Kumar surrenders in Karkardooma Court Delhi | 1984 सिख विरोधी दंगे के दोषी सज्जन कुमार ने कड़कड़डूमा कोर्ट में किया सरेंडर, उम्र कैद की हुई है सजा

1984 सिख विरोधी दंगे के दोषी सज्जन कुमार ने कड़कड़डूमा कोर्ट में किया सरेंडर, उम्र कैद की हुई है सजा

1984 सिख विरोधी दंगों में दोषी ठहराए जाने के बाद 73 वर्षीय पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने सोमवार (31 दिसबंर) को कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। सज्जन को  दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। जबकि, अन्य दो दोषियों में पूर्व विधायक कृष्ण खोखर और महेन्द्र यादव को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। 

कृष्ण खोखर और महेन्द्र यादव ने भी सोमवार (31 दिसबंर) को सरेंडर किया है। दोनों ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदिति गर्ग के समक्ष समर्पण किया।

आपको बता दें, हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को मामले में सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में फैसला सुनाते हुए भी दोषियों को 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने का समय दिया था। पूर्व पार्षद बलवान खोखर, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को भी इस मामले में दोषी ठहराया था।

अदालत ने सज्जन कुमार की आत्मसमर्पण के लिए और वक्त मांगने संबंधी अर्जी 21 दिसम्बर को अस्वीकार कर दी थी। इसके बाद कुमार ने मामले में ताउम्र कैद की सजा के उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

यह मामला 1984 दंगों के दौरान एक-दो नवम्बर को दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पालम कॉलोनी में राज नगर पार्ट-1 क्षेत्र में सिख परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आगे लगाने से जुड़ा है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 दंगों के दौरान 2700 से अधिक सिख राष्ट्रीय राजधानी में मारे गए जो कि वास्तव में "अविश्वसनीय नरसंहार" था।

अदालत ने कहा था ये दंगे "राजनीतिक संरक्षण" प्राप्त लोगों द्वारा "मानवता के खिलाफ अपराध" थे। अदालत ने यह भी कहा था कि बंटवारे के बाद से 1993 में मुंबई, 2002 में गुजरात और 2013 में मुजफ्फरनगर के नरसंहार में एक जैसी स्थिति है और सभी में एक बात समान है - कानून लागू करने वाली एजेंसियों की मदद से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों द्वारा ‘‘अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना।’’ उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए सज्जन कुमार को बरी करने का निचली अदालत का निर्णय रद्द कर दिया था।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Web Title: 1984 anti Sikh riots case: Sajjan Kumar surrenders in Karkardooma Court Delhi

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