6 साल की योगी सरकार में 183 अपराधी मारे गए; 10,900 से अधिक हुई पुलिस मुठभेड़, 23,300 पकड़े गए

By भाषा | Published: April 15, 2023 08:32 AM2023-04-15T08:32:22+5:302023-04-15T08:45:59+5:30

उप्र पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से राज्य में हुई मुठभेड़ों में अब तक 13 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं। इनमें एक पुलिस उपाधीक्षक सहित वे आठ पुलिसकर्मी शामिल हैं जो जुलाई 2020 में कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में घात लगाकर बैठे गैंगस्टर विकास दुबे के साथियों की गोलीबारी में मारे गए थे।

183 criminals killed in 6 years of Yogi govt Over 10,900 police encounters 23,300 arrested | 6 साल की योगी सरकार में 183 अपराधी मारे गए; 10,900 से अधिक हुई पुलिस मुठभेड़, 23,300 पकड़े गए

6 साल की योगी सरकार में 183 अपराधी मारे गए; 10,900 से अधिक हुई पुलिस मुठभेड़, 23,300 पकड़े गए

Highlights20 मार्च, 2017 से राज्य में पुलिस मुठभेड़ों में 183 अपराधियों को मार गिराया गया है। पुलिस मुठभेड़ों में घायल होने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या 1,443 है।

लखनऊः  गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी की उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के साथ झांसी में हुई मुठभेड़ में मौत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नीत सरकार के पिछले छह साल के कार्यकाल में हुई विभिन्न मुठभेड़ों में राज्य में 183 अपराधी मारे गए हैं। विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘20 मार्च, 2017 से राज्य में पुलिस मुठभेड़ों में 183 अपराधियों को मार गिराया गया है।’’

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 20 मार्च, 2017 से राज्य में 10,900 से अधिक पुलिस मुठभेड़ हुई हैं, जिनमें 23,300 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, 5,046 अपराधी घायल हुए हैं तथा 183 अपराधी मारे जा चुके हैं । पुलिस मुठभेड़ों में घायल होने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या 1,443 है। उप्र पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से राज्य में हुई मुठभेड़ों में अब तक 13 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं। इनमें एक पुलिस उपाधीक्षक सहित वे आठ पुलिसकर्मी शामिल हैं जो जुलाई 2020 में कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में घात लगाकर बैठे गैंगस्टर विकास दुबे के साथियों की गोलीबारी में मारे गए थे।

वहीं, मध्य प्रदेश के उज्जैन से उत्तर प्रदेश वापस लाने के दौरान दुबे ने भागने का प्रयास किया था और मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस ने बताया था कि वापसी में वाहन पलटने के बाद दुबे ने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनकर भागने का प्रयास किया था। वहीं, सरकार के आलोचकों और विपक्षी दलों का आरोप है कि इनमें से कई मुठभेड़ फर्जी हैं और उनके सही तथ्यों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस ने इन आरोपों को खारिज किया है और दावा किया कि 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को झांसी में हुई मुठभेड़ में असद के मारे जाने को लेकर सवाल उठाए थे। उत्तर प्रदेश विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने गुरुवार को झांसी में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और उसके एक साथी गुलाम को मुठभेड़ में मार गिराया। उमेश पाल हत्याकांड में असद और गुलाम नामजद आरोपी थे। 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

मुठभेड़ के कुछ ही घंटे बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘‘झूठे मुठभेड़ करके भाजपा सरकार सच्चे मुद्दों से ध्यान भटकाना चाह रही है। भाजपाई न्यायालय में विश्वास ही नहीं करते हैं। आज (बृहस्पतिवार) की व हालिया मुठभेड़ की भी गहन जांच-पड़ताल हो तथा दोषियों को नहीं छोड़ा जाए। सही-गलत के फ़ैसलों का अधिकार सत्ता का नहीं होता है। भाजपा भाईचारे के खिलाफ है।’’ वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा था, ‘‘अतीक अहमद के बेटे व एक अन्य की आज (बृहस्पतिवार)पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्या पर अनेक प्रकार की चर्चायें गर्म हैं। लोगों को लगता है कि विकास दुबे कांड के दोहराए जाने की उनकी आशंका सच साबित हुई है। अतः घटना के पूरे तथ्य एवं सच्चाई जनता के सामने आ सके इसके लिए उच्च-स्तरीय जांच जरूरी।'

 उधर, उत्तर प्रदेश के उपमुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया था, “यूपी एसटीएफ को बधाई देता हूं। अधिवक्ता उमेश पाल और पुलिस के जवानों के हत्यारों का यही हश्र होना था।” मौर्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, “अगर आप अपराध नहीं करते हैं, तो कोई आपको हाथ तक नहीं लगाएगा। लेकिन, अगर आप अपराध करते हैं, तो आपको किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है, न कि समाजवादी पार्टी (सपा) की, जिसमें अपराधियों को बख्शा जाएगा। 

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