16 दिसंबर: आज ही के दिन हुई थी निर्भया से दरिंदगी, गांव में दी गई श्रद्धांजलि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 16, 2019 05:45 PM2019-12-16T17:45:19+5:302019-12-16T17:45:19+5:30
16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में निर्भया के साथ दिल्ली में दरिंदगी की घटना हुई थी। इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। 13 दिन तक जिन्दगी और मौत से जूझने के बाद निर्भया ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
वर्ष 2012 में आज ही के दिन दुनिया को झकझोर देने वाले दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड की शिकार हुई निर्भया को सोमवार को बलिया जिले स्थित उसके पैतृक गांव में श्रद्धांजलि दी गई । जिले के बिहार सीमा से सटे निर्भया के पैतृक गांव मेड़वार कलां में आज हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने मृतका की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
निर्भया के साथ दरिंदगी वाले दिन गांव में हर साल श्रद्धांजलि का कार्यक्रम रखा जाता है। इस मौके पर निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने कहा कि घटना वाली तिथि 16 दिसंबर को ही गुनहगारों को फांसी दिए जाने से परिवार के लोगों को तसल्ली मिली होती ।
दोषी दरिंदों को अगर आज 16 दिसंबर को ही फंदे से लटका दिया गया होता तो इस प्रकार की घटना को अंजाम देने वालों को कड़ा संदेश मिला होता । हालांकि उन्होंने इसके साथ ही यह स्वीकार किया कि कानूनी प्रक्रिया के कारण 16 दिसंबर को निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर लटकाया जाना मुमकिन नहीं हो सका । रुंधे गले से निर्भया के दादा ने कहा कि अब और अधिक विलंब न किया जाए तथा सारी कानूनी बाधाओं को शीघ्र पूरा कर जल्द से जल्द चारों दरिंदों को फांसी दी जाए।
उन्होंने कहा कि बच्ची के साथ दरिंदगी करने वालों का एक-एक दिन सांस लेना परिवार के साथ ही समाज को भी अच्छा नहीं लग रहा। निर्भया के दादा ने कहा कि कानून में ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि कम से कम समयावधि में बलात्कार के मामलों में दरिंदों को सजा मिले ।
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में निर्भया के साथ दिल्ली में दरिंदगी की घटना हुई थी। इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। 13 दिन तक जिन्दगी और मौत से जूझने के बाद निर्भया ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।