तीन साल में दलितों के खिलाफ अत्याचार के 1 लाख 38 हजार 825 मामले दर्ज, सबसे अधिक यूपी में 36,467 मामले, सरकार ने संसद में दी जानकारी
By विशाल कुमार | Published: March 23, 2022 08:50 AM2022-03-23T08:50:27+5:302022-03-23T08:57:54+5:30
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मंगलवार को संसद को बताया कि 2019 में अत्याचार के 42,793 मामले दर्ज किए गए। 2019 में यह संख्या बढ़कर 45,961 और 2020 में 50,291 हो गई। 2020 में उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या सबसे अधिक (12,714) दर्ज की गई।
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मंगलवार को संसद को बताया कि 2018 और 2020 के बीच देश भर में दलितों के खिलाफ अपराधों से संबंधित 1,38,825 मामले दर्ज किए गए। अठावले ने यह जानकारी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य हाजी फजलुर रहमान के दलितों पर अत्याचार की संख्या पर सवाल के जवाब में दी।
अठावले ने कहा कि 2019 में अत्याचार के 42,793 मामले दर्ज किए गए। 2019 में यह संख्या बढ़कर 45,961 और 2020 में 50,291 हो गई। 2020 में उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या सबसे अधिक (12,714) दर्ज की गई।
तीन वर्षों में अधिकतम 36,467 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए, इसके बाद बिहार (20,973 मामले), राजस्थान (18,418) और मध्य प्रदेश (16,952) हैं।
तीन वर्षों में दलितों के खिलाफ सबसे कम अपराध पश्चिम बंगाल (373) में दर्ज किए गए, इसके बाद पंजाब (499), छत्तीसगढ़ (921) और झारखंड (1,854) का स्थान है।
अठावले ने कहा कि दक्षिणी राज्यों में तीन वर्षों में अत्याचार के सबसे अधिक मामले आंध्र प्रदेश (5,857) से सामने आए, इसके बाद तेलंगाना (5,156), कर्नाटक (4,277), तमिलनाडु (3,831), और केरल (2,591) सामने आए।
2021 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट से पता चला है कि दलितों के खिलाफ अपराध 9.3 फीसदी बढ़कर 8,272 हो गए हैं।