कोलकाता: आजादी के एक साल पहले आज ही के दिन हजारों लोगों का हुआ था कत्लेआम, लाखों हुए थे बेघर

By भारती द्विवेदी | Published: August 16, 2018 07:24 AM2018-08-16T07:24:11+5:302018-08-16T07:24:11+5:30

दो दिन तक चली उस हिंसा में 6 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। 20 हजार से अधिक लोग घायल हुए थे और 1 लाख से अधिक बेघर हो गए थे।

1 year before independence it was today when thousands were killed and lakhs were left homeless in kolkata | कोलकाता: आजादी के एक साल पहले आज ही के दिन हजारों लोगों का हुआ था कत्लेआम, लाखों हुए थे बेघर

ग्रेट कलकत्ता किलिंग दंगा

आजादी के समय देश को भीषण दंगे का सामना करना पड़ा था। लेकिन आजादी से एक साल पहले यानी 16 अगस्त 1946 को देश एक और दंगे का साक्षी बना था। इस दिन इतिहास के पन्नों में दंगे को लेकर एक काला अध्याय जुड़ा था। 16 अगस्त को कलकत्ता (तब का कलकत्ता) में कत्लेआम मचा था। मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदुओं के साथ हुई उस हिंसा को  'ग्रेट कलकत्ता किलिंग' के नाम से भी जाना जाता है।

उस दिन क्या हुआ था?

मोहम्मद अली जिन्ना भारत से अलग होकर नए देश पाकिस्तान बनाने के ख्वाब देख रहे थे। उनकी पार्टी मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान बनाने की मांग जोर पकड़ चुकी थी। हालांकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने नए देश के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। प्रस्ताव खारिज होने के बाद मुस्लिम लीग काउंंसिल ने ब्रिटिश और कांग्रेस को अपनी ताकत का एहसास करना चाहती थी। पाकिस्तान की मांग को लेकर मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त को 'डायरेक्ट एक्शन डे' की घोषणा की है। उस एक्शन के तहत बंगाल और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में दंगा भड़क गया। शुरू हुए उस दंगे का पहला शिकार बना पूर्वी कलकत्ता (अब कोलकाता) का नोआखली जिला।

16 अगस्त की सुबह मुस्लिम लीग ने एक विशाल रैली का आयोजन किया था। उस समय के बंगाल के प्रधानमंत्री सोहरावर्दी के नेतृत्व में विशाल जनसभा का भी आयोजन किया गया। कहते हैं मुस्लिम लीग की उस रैली में आए सारे वक्ताओं ने भीड़ को हिंदुओं के खिलाफ उकसाया। वहीं दूसरी तरफ  'डायरेक्ट एक्शन डे' के पलटवार में हिंदू महासभा ने भी 'निग्रह-मोर्चा' बनाया था। जिसके बाद उस कत्लेआम की शुरुआत हुई। रैली से लौट रही भीड़ जगह-जगह हिंदुओं को अपना निशाना बनाया। मुस्लिम इलाके में हिंदुओं के खिलाफ भड़की वो दंगा लगातार दो दिनों तक चला था। 72 घंटे के अंदर छह हजार से अधिक लोग मारे गए थे। 20 हजार से अधिक बुरी तरह घायल हुए थे, वहीं एक लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे।

उस दंगे से महात्मा गांधी के देश को एकजुट रखने के सपने को काफी गहरा ठेस पहुंची थी। कलकत्ता के उस भयानक हिंसा को रुकवाने के लिए महात्मा गांधी दिल्ली से नोआखली गए थे और लोगों से शांति की अपील की थी। दंगा रुकवाने के लिए उन्होंने अनशन तक किया, फिर जाकर उस दर्दनाक हिंसा पर लगाम लगा था।

Web Title: 1 year before independence it was today when thousands were killed and lakhs were left homeless in kolkata

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