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बेतिया विधानसभा सीटः कांग्रेस गढ़ पर भाजपा का कब्जा?, जानिए समीकरण और मतदाता संख्या, कौन मारेगा बाजी

By एस पी सिन्हा | Updated: June 11, 2025 18:24 IST

Bettiah Assembly Seat: 2015 में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी, लेकिन 2020 में रेणु देवी ने पुनः जीत दर्ज की।

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ठळक मुद्देबेतिया विधानसभा क्षेत्र में पिछले एक दशक में राजनीतिक परिदृश्य में कई बदलाव हुए हैं।2010 में भाजपा की रेणु देवी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2020 के चुनाव में रेणु देवी को 84,496 वोट मिले।

पटनाःबिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में बेतिया विधानसभा सीट की बिहार विधानसभा में सीट क्रम संख्या आठ है। यह पश्चिम चंपारण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा  है। राज्य में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होना है। इसको लेकर तमाम पार्टियों ने अपने-अपने हिस्से की तैयारी शुरू कर दी है। विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। इस बार बेतिया विधानसभा सीट पर भी इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है। 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद इस विधानसभा सीट में बदलाव किया गया और इसके तहत बेतिया सामुदायिक विकास ब्लॉक, मोहद्दीपुर, मझहौलिया, पारसा, बहुआरवास गुदारास बखरिया, राजभर और सेनुवरिया समेत कई क्षेत्रों को शामिल किया गया। बेतिया विधानसभा क्षेत्र में पिछले एक दशक में राजनीतिक परिदृश्य में कई बदलाव हुए हैं।

2010 में भाजपा की रेणु देवी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2015 में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी, लेकिन 2020 में रेणु देवी ने पुनः जीत दर्ज की। 2020 के चुनाव में रेणु देवी को 84,496 वोट मिले, जबकि मदन मोहन तिवारी को 66,417 वोट प्राप्त हुए। बेतिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

बेतिया विधानसभा सीट पहले बेतिया लोकसभा का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 2008 के बाद इसमें बदलाव कर दिया गया और इसे पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया। इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। चंपारण की कई अन्य विधानसभा सीटों की तरह बेतिया भी कभी कांग्रेस पार्टी का गढ़ हुआ करता था।

लेकिन 1990 के बाद कांग्रेस का जनाधार बिहार से खत्म होने लगा और इस सीट से भी कांग्रेस का प्रभाव समाप्त हो गया। लेकिन 2015 में लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच हुए महागठबंधन ने इस सीट पर 30 साल बाद कांग्रेस की वापसी में अहम भूमिका निभाई थी। 1985 के बाद कांग्रेस सिर्फ 2015 में इस सीट पर चुनाव जीत पाई।

इस दौरान इस सीट से 5 बार भाजपा और एक बार 1995 में जनता दल के विधायक चुने गए। इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी इस सीट पर अपना कब्जा जमाए रखने में सफल रह पाएगी? बेतिया विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों का दबदबा रहा है। रविदास, पासवान और यादव वोटर निर्णायक भूमिका में हैं।

इस सीट के इतिहास में 2015 में दूसरी बार सबसे ज्यादा 59.3 फीसदी वोटिंग हुई थी। उससे पहले 2000 के चुनाव में यहां 59.9 फीसदी वोट पड़े थे। बेतिया विधानसभा में अनुसूचित जाति मतदाताओं की संख्या लगभग 33,231 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 11.69 फीसदी है।

वहीं, अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 2,217 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 0.78 फीसदी है। जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 69,930 है जो लगभग 24.6 फीसदी है। बेतिया विधानसभा में ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 181,932 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 64 फीसदी है।

यहां शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 102,336 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 36 फीसदी है। 2020 विधानसभा चुनाव के अनुसार बेतिया विधानसभा के कुल मतदाता 2,84, 268 है। पुरुष मतदाताओं की संख्या 1.44 लाख (53.5 फीसदी) है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1.24 लाख (46.0 फीसदी) है। वहीं, ट्रांसजेंडर मतदाता 2 हैं।

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