'Gold' के रिलीज से पहले जानिए फिल्म की पूरी कहानी, भारतीय टीम ने नंगे पांव जीता था ओलंपिक गोल्ड

By सुमित राय | Published: June 25, 2018 11:43 AM2018-06-25T11:43:48+5:302018-06-25T11:43:48+5:30

Gold Film: दर्शकों को फिल्म के रिलीज होने तक का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इससे पहले हम आपको बता रहे हैं फिल्म 'गोल्ड' की पूरी कहानी।

Akshay Kumar's Film Gold Trailer released, Know The Real Story of First Indian Hockey Team Olympic Gold Medal | 'Gold' के रिलीज से पहले जानिए फिल्म की पूरी कहानी, भारतीय टीम ने नंगे पांव जीता था ओलंपिक गोल्ड

Akshay Kumar's Film Gold Trailer released, Know The Real Story of First Indian Hockey Team Olympic Gold Medal

नई दिल्ली, 25 जून। अक्षय कुमार स्टारर फिल्म गोल्ड का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है। फिल्म में अक्षय कुमार हॉकी कोच तपन दास की भूमिका ने नजर आएंगे। इसमें कोई शक नहीं कि ट्रेलर काफी प्रभावित करने वाला है। इस फ‍िल्‍म की मजबूती इसकी कहानी तो है ही साथ ही इसके डायलॉग इसे ब्‍लॉकबस्‍टर बना सकते हैं।

फिल्म में ब्रिटिश के गुलाम भारत की कहानी है, जो आजादी के साथ ही हॉकी में पहला गोल्ड ओलंपिक पदक हासिल करना चाहता है। किस तरह उनसे सपने बनते हैं, किस तरह बिगड़ते हैं, इसी की कहानी है गोल्ड। यह देखने के लिए दर्शकों को फिल्म के रिलीज होने तक का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इससे पहले हम आपको बता रहे हैं फिल्म 'गोल्ड' की पूरी कहानी।

क्या है फिल्म गोल्ड की कहानी

फिल्म गोल्ड 15 अगस्त को रिलीज होगी। फिल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे हम भारतीय ब्रिटिश राष्ट्रगान पर खड़े होते रहे और गाते रहे, लेकिन एक शख्स के जिद ने 1948 के लंदन ओलंपिक में ब्रिटेन को भारतीय राष्ट्रगान पर खड़े होने के लिए मजबूर कर दिया था। गोल्ड फिल्म में भारतीय हॉकी टीम के लंदन ओलंपिक के सफर को दिखाया गया है। जब भारतीय टीम ने कई मुश्किलों का सामना करते हुए अंग्रेजों को मात देकर गोल्ड मेडल जीता था।

भारतीय टीम आजादी से पहले ओलंपिक में तीन गोल्ड मेडल जीत चुकी थी, लेकिन आजादी के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय टीम किसी बड़े इवेंट में हिस्सा ले रही थी। इस दौरान सभी की नजरें भारतीय हॉकी टीम थी। हॉकी ही ऐसा था खेल था जो पहले भी भारत को गोल्ड दिला चुका था। लेकिन ये इस बार ये इतना आसान नहीं था।

1947 में भारत का बंटवारा हो चुका था और कई खिलाड़ी पाकिस्तान चले गए थे। वहीं, मेजर ध्यानचंद ने भी संन्यास ले लिया था। ऐसे में ओलंपिक कमेटी ने भारत-पाक को प्रस्ताव दिया कि वह एक संयुक्त टीम भेजे। लेकिन, दोनों मुल्कों ने ये प्रस्ताव खारिज कर दिया।

किशन लाल को सौंपी गई थी भारतीय टीम की कमान

1948 में ओलंपिक जाने के लिए पहली भारतीय हॉकी टीम बनी। इस बड़े इवेंट के लिए किशन लाल को भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया था, जबकि केडी सिंह बाबू को उपकप्तान नियुक्त किया गया था। ये टीम बिल्कुल नई थी, इसलिए टीम मैनेजमेंट को भारत से उम्मीद कम ही थी।

भारतीय टीम का पहला मैच ऑस्ट्रिया के साथ खेला गया और भारत ने सबको गलत साबित करते हुए 8-0 रौंद डाला। इसके बाद अगले ही मैच में ही भारत ने अर्जेंटीना को 9-1 से करारी शिकस्त दे दी। इसके बाद भारतीय टीम ने स्पेन को 2-0 मात देकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। ग्रुप स्टेज में भारतीय टीम के इस शानदार प्रदर्शन ने गोल्ड का प्रबल दावेदार बना दिया।

अंतिम चार में भारतीय टीम का मुकाबला हॉलैंड से था और भारत ने इस मैच में 2-0 से जीत दर्ज कर फाइनल का टिकट कटा लिया। वहीं दूसरे सेमीफाइनल में ब्रिटेन ने पाकिस्तान को मात देकर फाइनल में जगह बनाई। अब गोल्ड के लिए कड़ी टक्कर भारत और ब्रिटेन के बीच थी।

200 सालों तक भारत पर राज करने वाले अंग्रेजों से बदला लेने के लिए भारतीय टीम उतारू थी। फाइनल में भारतीय टीम ने ब्रिटेन को 4-0 से मात देकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। यह भारतीय टीम का ओलंपिक में लगातार चौथा हॉकी गोल्ड था, लेकिन आजाद भारत का यह पहला गोल्ड था। खास बात ये थी फाइनल मैच में घास में मौजूद फिसलन के चलते भारतीय टीम के कई खिलाड़ी नंगे पांव खेले थे।

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