Zika virus: महाराष्ट्र में मिला जीका वायरस का पहला मामला, जानिये जीका वायरस के लक्षण, बचाव, इलाज
By उस्मान | Published: August 2, 2021 08:53 AM2021-08-02T08:53:23+5:302021-08-02T08:53:23+5:30
जीका वायरस का भी कोई स्थायी इलाज नहीं है और अब कई राज्यों में इसके मामले देखने को मिल रहे हैं
महाराष्ट्र में जीका वायरस संक्रमण का पहला मामला पुणे जिले में सामने आया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी और लोगों से नहीं घबराने की अपील भी की। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि संक्रमित पायी गई महिला मरीज पूरी तरह से ठीक हो गई है।
विभाग ने एक बयान में कहा, 'उसे और उसके परिवार के सदस्यों में कोई लक्षण नहीं हैं।' बयान के अनुसार पुरंदर तहसील के बेलसर गांव निवासी 50 वर्षीय महिला की शुक्रवार को जांच रिपोर्ट मिली थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीका संक्रमण के अलावा वह चिकनगुनिया से भी पीड़ित थी। बयान में कहा गया है कि एक सरकारी चिकित्सा दल ने गांव का दौरा किया और सरपंच और ग्राम पंचायत सदस्यों से मुलाकात करके उन्हें रोकथाम उपायों के बारे में निर्देश दिया।
जीका वायरस क्या है
जीका वायरस मच्छरों के काटने से होने वाली एक वायरल बीमारी है। इसका वाहक येलो फीवर फैलाने वाले एडीज इजिप्टी मच्छर होते हैं। जीका वायरस जानलेवा नहीं होता लेकिन इसके कारण गर्भवती महिलाओं को बहुत खतरा होता है।
इस वायरस की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे का मस्तिषक पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है और यह एक स्थाई समस्या बन जाती है। जीका वायरस से प्रभावित शख्स को काफी तेज बुखार आता है, जोड़ों में दर्द होता है और शरीर पर रेशेज (लाल धब्बे) हो जाते हैं।
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस से प्रभावित अधिकतर लोगों में जीका वायरस के लक्षण नजर नहीं आते वहीं कुछ लोगों में हल्के बुखार, त्वचा पर चकत्ते होने, आंखों में जलन, बेचैनी, सिरदर्द, बदन दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं नजर आती हैं। इसके ज्यादातर मामलों में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
जीका वायरस का इलाज
इस वायरस का कोई टीका नहीं है, न ही कोई उपचार है। इस संक्रमण से पीड़ित लोगों को दर्द में आराम देने के लिए पैरासिटामॉल (एसिटामिनोफेन) दी जाती है।
जीका वायरस को फैलाने वाले मच्छर से बचने के लिए वही उपाय हैं जो आप डेंगू से बचने के लिए करते आए हैं। जैसे मच्छरदानी का प्रयोग, पानी को ठहरने नहीं देना, आस-पास की साफ-सफाई, मच्छर वाले एरिया में पूरे कपड़े पहनना, मच्छरों को मारने वाली चीजों का इस्तेमाल और खून को जांचे बिना शरीर में ना चढ़वाना।
जीका वायरस से खतरा
यह पीड़ित के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर हमला करता है। इस वजह से सांस लेने में दिक्कत या कमजोरी की शिकायत हो सकती है। गंभीर मामलों में वायरस मौत या लकवे का सबब भी बन सकता है।
जीका वायरस से बचाव
आपको बता दें कि जीका वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन और इलाज नहीं मिल पाया। इसलिए जीका वायरस से बचने का आसान तरीका है कि मच्छरों से पूरी तरह बचाव किया जाए। इसके अलावा जिन जगहों पर जीका वायरल फैला हो ऐसे संक्रमण वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए।
डॉक्टरों की सलाह
डॉक्टरों ने साफ किया है कि इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। इससे बचने के लिए लोगों को मच्छरों से सावधान रहना चाहिए। जीका, डेंगू व चिकनगुनिया इन तीनों बीमारियों के संवाहक एडीज मच्छर ही होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, यह एक नई बीमारी है जिस वजह से लोग घबरा रहे हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)