तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी, टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) एक संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस कीटाणु की वजह से होती है। यह कीटाणु हवा के जरिए एक से दूसरे व्यक्ति में पहुंचते हैं। यदि इलाज ठीक से न हो, तो यह रोग जानलेवा हो सकता है। टीबी आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है लेकिन यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। जब टीबी से पीड़ित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है, तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जोकि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। आज वर्ल्ड टीबी डे है। इस मौके पर मैक्स हॉस्पिटल में प्रिंसिपल कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी डॉक्टर राजेश गुप्ता आपको बता रहे हैं कि टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के किन-किन अंगों को प्रभावित कर सकता है।
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टीबी फेफड़ों के अलावा इन अंगों पर डालता है असर
टीबी के बैक्टीरिया का शरीर में प्रवेश फेफड़ों द्वारा होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के अन्य अंगों में फ़ैल जाता है। यही वजह है कि आगे चलकर शरीर के किसी भी अंग में टीबी होने का खतरा होता है। यानी आपको दिमाग से लेकर ग्रंथियों, आंख, कान, नाक, लीवर, किडनी, हड्डियों सहित अन्य अंगों में टीबी हो सकता है। खासकर महिलाओं में जनाइटो उरिनरी और जनाइटल ट्रैक्ट टीबी भी बहुत कॉमन होता है। कुल मिलाकर टीबी शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है।
टीबी के मरीज इन बातों का रखें ध्यान
- नियमित रूप से सही समय पर दवा लें - पौष्टिक भोजन लें और एक्सरसाइज करें - अल्कोहल और स्मोकिंग से बचें - किसी के सामने मुंह पर हाथ या रुमाल रखे बिना ना खांसे - ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। - किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें।- दवा लेने के बाद अगर उल्टी या लाल रंग का पेशाब आता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें
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टीबी के लक्षण
- तीन सप्ताह या उससे लंबे समय तक लगातार तेज खांसी- खांसी के साथ उल्टी आना - खांसी के साथ बलगम का आना- सांस लेने में परेशानी और छाती में दर्द महसूस होना- बुखार आना