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world most expensive medicine: 'दुनिया की सबसे महंगी दवा' Zolgensma को मंजूरी, कीमत करीब 18 करोड़ रुपये, जानें किस बीमारी में आती है काम

By उस्मान | Updated: March 9, 2021 10:33 IST

इसे दुनिया की अब तक की सबसे महंगी दवा बताया जा रहा है

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ठळक मुद्देइसे दुनिया की अब तक की सबसे महंगी दवा बताया जा रहा है जेनेटिक डिसऑर्डर का करती है इलाजबच्चों को होती है यह बीमारी

दुनिया में कई तरह की बीमारियां और वायरस मौजूद हैं। हर बीमारी के लिए अलग-अलग दवाएं और टीके भी मौजूद हैं। कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके इलाज के लिए दवाएं खरीदना आम इंसान की बात नहीं है। इसका कारण हैं यह है कि उनकी कीमत करोड़ों रुपये में होती है। 

यूनाइटेड किंगडम की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने हाल ही में एक दवा को मंजूरी दी है। इसे 'दुनिया की सबसे महंगी दवा' बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस दवा का इस्तेमाल एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार को ठीक करने के लिए किया जाता है। 

सबसे महंगी दवा की कीमत

मिंट लाइव की एक रिपोर्ट के अनुसार, एनएचएस इंग्लैंड ने एक बयान में कहा, नोवार्टिस जीन थेरेपिस द्वारा निर्मित एक-ऑफ जीन थेरेपी जोल्गेन्स्मा (Zolgensma) दुनिया की सबसे महंगी दवा हो सकती हैं। इसकी कीमत  (£ 1.79 मिलियन) यानी 18 करोड़ रुपये है।

किस बीमारी का इलाज करती हैं Zolgensma

यह दवा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) का इलाज करती है। यह एक दुर्लभ और अक्सर घातक साबित होने वाली आनुवंशिक बीमारी है जो पक्षाघात, मांसपेशियों की कमजोरी और चलने-फिरने में कठिनाई होने का कारण बनती है। 

इसका उपयोग एसएमए से पीड़ित शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए किया जाएगा। गंभीर रूप से टाइप 1 एसएमए के साथ पैदा हुए शिशुओं की जीवन प्रत्याशा सिर्फ दो साल की है।

उपचार के दौरान चिकित्सकों ने पाया है कि इस दवा के इस्तेमाल से शिशुओं को बिना वेंटिलेटर के सांस लेने, अपने आप उठने बैठने और उपचार के बाद चलने में मदद मिली है।

कैसे काम करती है Zolgensma

इसमें एक सक्रिय संघटक ओनासिमोगेन अबेपरोवोवक (onasemnogene abeparvovec) होता है, जो नसों में गुजरता है और जीन को पुनर्स्थापित करता है, जो तब तंत्रिका कार्य के लिए आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन करता है और मांसपेशियों के आंदोलन को नियंत्रित करता है।

नवीनतम आंकड़ों ने सुझाव दिया कि जोल्गेन्स्मा टाइप 1 एसएमए वाले छोटे बच्चों के लिए मोटर फ़ंक्शन में तेजी से और निरंतर सुधार प्रदान कर सकता है और उनके जीवन को लम्बा खींच सकता है।

एनएचएस इंग्लैंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सर साइमन स्टीवेंस ने कहा, 'स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी शिशुओं और छोटे बच्चों में मौत का प्रमुख आनुवंशिक कारण है। यही वजह है कि एनएचएस इंग्लैंड ने इस उपचार को उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत की है। इसकी कीमत को लेकर भी बातचीत जारी है, ताकि इसके पहुंच आसान हो सके।

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