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World Malaria Day 2018: मलेरिया के लक्षण, कारण, बचाव, इलाज

By उस्मान | Updated: April 25, 2018 07:10 IST

मलेरिया एक परजीवी रोगाणु से होता है, जिसे प्लाज्मोडियम कहते हैं। ये रोगाणु 'एनोफिलीज' जाति के मादा मच्छर में होते हैं।

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हर साल 25 अप्रैल को 'वर्ल्ड मलेरिया डे' मनाया जाता है। मलेरिया डे मनाने का उद्देश्य इस जानलेवा बीमारी की रोकथाम और उपचार के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस साल मरिया डे की थीम 'रेडी टू बीट मलेरिया' है। मलेरिया एक मच्छर जनित गंभीर बीमारी है। यह प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है। इस रोग से हर साल विश्व भर में करोंड़ों लोग प्रभावित होते है, जिनमें से लाखों लोगों की मृत्यु तक हो जाती है। वर्ल्ड मलेरिया डे मनाने की शुरुआत यूनिसेफ द्वारा 25 अप्रैल 2008 से हुई थी।  

मलेरिया क्या है?

मलेरिया एक परजीवी रोगाणु से होता है, जिसे प्लाज्मोडियम कहते हैं। ये रोगाणु 'एनोफिलीज' जाति के मादा मच्छर में होते हैं और जब यह किसी व्यक्‍ति को काटते हैं, तो उसके खून की नली में मलेरिया के रोगाणु फैल जाते हैं। ये रोगाणु व्यक्‍ति के लीवर की कोशिकाओं तक पहुंचते हैं और वहां इनकी गिनती बढ़ती है। एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छर शाम को काटते हैं। 

मलेरिया होने के कारण?

चूंकि मलेरिया के परजीवी रेड ब्लड सेल्स में पाए जाते हैं, इसलिए ये मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति द्वारा ब्लड ट्रासफ्यूजन के जरिये दूसरे व्यक्ति में भी संप्रेषित हो सकते हैं। इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण और एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है।

मलेरिया के लक्षण

-सिरदर्द होना -मतली या उल्टी होना-जोड़ों में दर्द होना-कमजोरी और थकान महसूस होना -शरीर में खून की कमी -आंखों का रंग पीला होना -बुखार सहित फ्लू जैसे लक्षण महसूस होना -ठंड के साथ कंपकंपी होना -मलेरिया बुखार कई बार एक दिन छोड़कर एक दिन आता है।

मलेरिया से बचाव

-मच्छरों से बचें। वहां सोएं, जहां मच्छर न हों या कपड़ा ओढ़कर सोएं।-शरीर पर सरसों का तेल लगाएं। इससे मच्छर नहीं काटते।-मच्छर रुके हुए पानी में पैदा होते हैं। इसलिए कहीं भी पानी जमा ना होने दें। -घर के आसपास गड्ढों तथा पानी के इकट्ठा होनेवाले स्थानों को भर दें।-छत की टंकी, टेंक, कूलर इत्यादि का पानी हफ्ते में बदलते रहें। -खुले स्थान जहां पानी हटाना संभव न हो, वहां मिट्टी का तेल डालें। -बार-बार बुखार चढ़ने-उतरने पर तुरंत जांच कराएं-मलेरिया बुखार होने पर संतरे का जूस जूस जैसे तरल पदार्थों का सेवन करते रहें।-शरीर का तापमान बढ़ने और पसीना आने पर ठंडा टॉवल लपेट लें।

मलेरिया में क्या खाएं

-जब बुखार उतरे तब अरारोट, साबूदाने की खीर, चावल का पानी, अंगूर जैसी चीजें खाएं।-कच्चा केला, परवल, बैगन, केले के फूल की सब्जी खाएं।-गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर स्वादानुसार चीनी मिलाकर 2-3 बार पिएं।-प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा छाछ पिएं।-बुखार में गरम पानी और बाद में गर्म किया ठंडा पानी ही पिएं।

मलेरिया में क्या न खांए?

-दही, शिकंजी, गाजर, मूली आदि न खाएं।-मिर्च-मसाले व अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।-ठंडा पानी बिल्कुल न पिएं और ना ही ठंडे पानी से नहाएं।-रोगी को आम, अनार, लीची, अनन्नास, संतरा आदि नहीं खाने चाहिए।-ठंडी तासीर के फल व पदार्थ न खाएं। -एसी में ज्यादा न रहें और न ही रात को एसी में सोएं।

मलेरिया के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे

1) 10 ग्राम तुलसी के पत्ते और 7-8 मिर्च को पानी में पीसकर सुबह और शा‍म लेने से बुखार ठीक हो जाता है। इसमें शहद भी मिला सकते हैं। 

2) गिलोय के काढ़े या रस में शहद मिलाकर 40 से 70 मिलीलीटर की मात्रा में नियमित सेवन करने से मलेरिया में लाभ होता है। 

3) इस रोग में नीम के तने की छाल का काढ़ा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है। इससे बुखार में आराम मिलता है। 

4) अदरक का सेवन भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ मलेरिया के इलाज के लिए भी काफी लाभदायक होता है। 

(फोटो- पिक्साबे) 

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