कोरोना वायरस की शुरुआत से लेकर अब तक कई शोधों में दावा किया जा चुका है कि कुछ पुरानी बीमारियों, मोटापे और बुढ़ापे सहित कई कारकों से पीड़ितों को महामारी का खतरा अधिक है। अब एक नए अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना का खतरा ब्लड ग्रुप टाइप पर भी निर्भर करता है।
पिछले साल नवंबर में मेडिकल जर्नल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन ने दावा किया है कि रक्त का प्रकार कोरोना के जोखिम को प्रभावित कर सकता है। न्यूयॉर्क प्रेस्बिटेरियन हॉस्पिटल अस्पताल में 14,000 व्यक्तियों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि ओ-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना का अधिक जोखिम था।
जर्नल में प्रकाशित पहले के एक अध्ययन 473,000 लोगों पर किता गया। इसमें पता चला की किये गए व्यक्तियों के बीच आयोजित किया गया था, जिन्होंने COVID-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था और इनमें से 2.2 मिलियन से ज्यादा लोगों का ब्लड ग्रुप 'ओ' था यानी इन्हें कम जोखिम था।
ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों को भी अधिक खतरा
टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्लड एडवांस में प्रकाशित एक हालिया कैनेडियन अध्ययन ने एक डेटा का मूल्यांकन किया जिसमें कोरोना के 95 गंभीर मरीज शामिल थे। 95 व्यक्तियों में से, 84 फीसदी लोगों का ब्लड ग्रुप 'ए' था। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि टाइप ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अन्य रक्त प्रकारों की तुलना में कोरोना का खतरा अधिक होता है।
ओ ब्लड ग्रुप वालों को है कोरोना का कम खतरा
हाल ही में किए गए अध्ययन और पहले किए गए शोधों के अनुसार, ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का कम जोखिम है और ऐसे लोग इस बीमारी की चपेट में कम हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि विभिन्न रक्त समूह प्रकार संचार प्रणाली पर एक अलग प्रभाव डालते हैं और शरीर में रक्त के थक्के के तरीके को बदलते हैं।
फ्रांस के एक मेडिकल निदेशक के अनुसार, ओ ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में थक्के विकसित होने का खतरा कम होता है, जो कोरोना की गंभीरता और जोखिमों के स्तर पर गंभीर प्रभाव डालता है।
इन लोगों को भी है कोरोना का अधिक जोखिम
कोरोना वायरस के फैलने के कई कारण हैं लेकिन कुछ लोग हैं, जो कोरोना को दूसरों में फैलाने की अधिक संभावना रखते हैं। चलिए जानते हैं कि किस तरह के लोग कोरोना वायरस को जल्दी फैला सकते हैं।
अधिक बीएमआई वाले लोगटीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में देखा गया है कि मोटापे से पीड़ित लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) है अधिक होता है और ऐसे लोग दूसरों की तुलना में ज्यादा कोरोना फैला सकते हैं। इसका कारण यह है कि ज्यादा बीएमआई वाले लोग हवा में अधिक श्वसन बूंदों को बाहर निकालने में सक्षम हैं।
अधिक बीएमआई वाले बुजुर्ग अधिक बीएमआई वाले बुजुर्ग भी तेजी से कोरोना वायरस को फैला सकते हैं। इसका कारण वैज्ञानिकों ने बताया है कि जीवाणुरहित या कमजोर प्रतिरक्षा, साथ में उत्पन्न अधिक श्वसन कणों ने इस श्रेणी को तेजी से उच्च जोखिम में भी डाल दिया है।
युवा कई शोधकर्ताओं ने पाया है कि युवा भी कोरोना वायरस को तेजी से फैला सकते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसे लोगों के लक्षण प्रकट नहीं होते हैं जबकि उन्हें कोरोना हुआ होता है और इसी वजह से वो चुपचाप समुदाय में लक्षणों को फैलाते रहते हैं। इस समुदाय के लोग मास्क पहनने के मामले में भी लापरवाही करते हैं जोकि वायरस के फैलने का बड़ा कारण है।