एक अध्ययन में यह पाया गया कि जिन लोगों में आनुवांशिक रूप से सुबह जल्दी उठने की आदत होती है, उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकता है और सिजोफ्रेनिया तथा अवसाद जैसे मनोविकारों को लेकर वह कम जोखिम के दायरे में होते हैं।
नेचर कम्युनिकेशंस नाम के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में ‘बॉडी क्लॉक’ को लेकर कुछ अंदरूनी खुलासे हुए हैं और इस पर प्रकाश डाला गया है कि यह मानसिक स्वास्थ्य और बीमारियों से कैसे जुड़ा है।
हालांकि इस अध्ययन के नतीजे का मधुमेह या मोटापे जैसी बीमारियों से किसी मजबूत संबंध होने का खुलासा नहीं हुआ है, जैसे की पूर्व में कयास लगाए जाते रहे हैं।
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ब्रिटेन में एक्सटर विश्वविद्यालय और अमेरिका के मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पीटल (एमजीएच) के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में ‘बॉडी क्लॉक’ के लिये शरीर की मदद में आखों के रेटीना की अहम भूमिका को रेखांकित किया गया है।
इससे जीनोम को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों को लेकर जानकारी का दायरा भी बढ़ा है कि कोई व्यक्ति रात 12 बजे से तड़के तीन बजकर 51 मिनट के बीच उठने वाला है।