भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। बताया जा रहा है कि उन्हें जंतर मंतर रोड पर अपने घर कार्डियक अरेस्ट हुआ था। इसके बाद रात 9.39 बजे उन्हें एम्स लाया गया। एम्स के बयान के अनुसार, डॉक्टरों की एक टीम ने लगभग 70-80 मिनट तक सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) किया। रात 10.50 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
सुषमा पिछले काफी समय से बीमार चल रही थीं और इसी वजह से उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। साल 2016 में सुषमा स्वराज का एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। ट्रीटमेंट के बाद उनकी हालत में सुधार आ गया था। इलाज के बाद से ही वह राजनीति में थोड़ा कम सक्रिय हो गई थीं। यही वजह थी कि वो लोकसभा चुनाव से दूर रहीं। चलिए जानते हैं कि कार्डियक अरेस्ट क्या होता है।
कार्डियक अरेस्ट क्या है?
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच अंतर है। आपको बता दें कि कार्डिएक अरेस्ट हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक होता है। यह एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसका सही समय पर इलाज नहीं कराने से असामयिक मौत हो सकती है। हार्ट अटैक में धमनियों के ब्लॉक होने से दिल को पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पाता है। जबकि कार्डियक अरेस्ट में इलेक्ट्रिक इनबैलेंस की वजह से दिल धड़कना बंद कर देता है।
दिल का सही तरह से काम ना करना अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकता है, जिसमें व्यक्ति भावशून्य हो जाता है। इसमें व्यक्ति सांस नहीं ले पाता है और हांफने लगता है। इस स्थिति में आप इमरजेंसी कॉल कर सकते हैं या सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससाइटेशन) यानि मुंह से सांस देना या छाती को थपथपाना शुरू कर सकते हैं।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट के चेतावनी या लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि इसके तीन मुख्य संकेत होते हैं, जिनके पहचानकर आप व्यक्ति की मदद कर सकते हैं।
1) व्यक्ति अचानक होश खो बैठता है। यही कारण है कि पीड़ित व्यक्ति अचानक गिर पड़ता है। इसके कंधों को थपथपाने पर भी मरीज कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है।
2) व्यक्ति नॉर्मल तरीके से सांस नहीं ले पाता है और दिल अचानक तेजी से धड़कना शुरू कर देता है।
3) पल्स और ब्लड प्रेशर थम जाते हैं और शरीर व दिमाग के अन्य हिस्सों में खून की आपूर्ति नहीं हो पाती है।
कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित की ऐसे करें मदद
ऐसी स्थिति में तुरंत आपातकालीन नंबर पर फोन करें या फिर सीपीआर शुरू करें। अगर सीपीआर को सही तरीके से किया जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। इस तकनीक से मेडिकल हेल्प नहीं मिलने तक बॉडी में ब्लड और ऑक्सीजन संचारित होता रहता है।
इसके अलावा अगर आपके पास एम्ब्यूलेटरी एक्सटर्नल डीफाइब्रलेटर डिवाइस है, तो आपके पास रोगी की जान बचाने का सबसे अच्छा मौका है।