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खांसी, अस्थमा, सूजन कम करने वाली गिनी घास से बनाया गया सैनिटाइजर, सबसे असरदार होने का दावा

By उस्मान | Updated: December 3, 2020 17:05 IST

वैज्ञानिकों का दावा है कि यह बाजार में बिक रहे सभी सैनिटाइजर से अधिक प्रभावी है

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ठळक मुद्देवैज्ञानिकों का दावा इस सैनिटाइजर में कीटाणुओं को मारने की क्षमता सबसे अधिकइसे त्वचा के लिए सुरक्षित बताया जा रहा हैजल्द आ सकता है बाजार में

कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच उत्तराखंड में वैज्ञानिकों ने गिनी घास से निकले तेल का इस्तेमाल कर हैंड सैनिटाइजर बनाया है। दावा है कि यह हैंड सैनिटाइजर हर्बल है और इसमें बाजार में बिक रहे बड़ी कंपनियों के सैनिटाइजर के मुकाबले कीटाणुओं को मारने की अधिक क्षमता है।

सबसे असरदार सैनिटाइजर वैज्ञानिकों दावा किया है कि सैनिटाइजर में कीटाणुओं को मारने की क्षमता बाजार में मौजूद बड़ी कंपनियों के सैनिटाइजरों के मुकाबले कहीं अधिक है। उन्होंने साथ ही बताया कि बहुत ही जल्द इसे बाजार में उतारा जाएगा जिसके लिए उद्योगों से बातचीत चल रही है। 

कैप में तैयार हुआ सैनिटाइजर यह सैनिटाइजर देहरादून की सेलाकृई फार्मासिटी में स्थित उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित संगंध पौध केंद्र (कैप) में गनिया घास के संगंध तेल से तैयार किया गया है जिसकी कीटाणु रोधी प्रकृति है।

कैप के प्रमुख डा नृपेंद्र चौहान ने बताया कि उत्तराखंड में बहुतायत से जंगली तौर पर उगने वाली गनिया घास पर किए गये विभिन्न प्रयोगों में इसे सैनिटाइजर बनाने के लिए बहुत बढ़िया पाया गया। 

त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षितचौहान ने दावा किया है कि गनिया घास के बने संगंध तेल की कीटाणु रोधी प्रकृति के कारण उसका उपयोग मानव त्वचा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। 

बैक्टीरिया और फंगस को कर सकता है खत्म उन्होंने बताया कि यह हाथों की त्वचा पर पाए जाने वाले सभी प्रकार के बैक्टीरिया और फंगस तथा उनसे होने वाले खुजली को समाप्त कर देता है। 

घास को लेकर तीन साल से चल रहा था अध्ययनचौहान ने कहा कि गनिया घास पर शोध टिहरी जिले के धनोल्टी क्षेत्र के जबरखेत गांव में शुरू किया गया था। गनिया घास पर हुए तीन वर्षों के गहन अध्ययन व शोध के उपरांत यह सैनिटाइजर बनाया गया।

घनिया घास के अन्य फायदेउन्होंने बताया कि पारंपरिक रूप से भी स्थानीय लोग गनिया घास का औषधीय उपयोग सूजन, खांसी, सर्दी, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस आदि के लिए करते रहे हैं। 

मई में 'गनिया हर्बल हेंड सैनिटाइजर' नाम से इसका वृहद उत्पादन शुरू किया गया और पहले 1000 लीटर सैनिटाइजर का निर्माण किया गया। इसमें आधा लीटर की 2000 बोतलें व 60 मिलीलीटर की 650 बोतलें तैयार की गयीं और लॉकडाउन के दौरान इनका निशुल्क वितरण किया गया। 

उन्होंने बताया कि कैप ने गनिया सैनिटाइजर के लिए कोटद्वार के एक उद्यमी को नॉन—एक्सलूसिव लाइसेंस दे दिया है जो शीघ्र ही इसका उत्पादन कर उसे बाजार में उतारेगा। चौहान ने बताया कि कई अन्य उद्यमियों से भी लाइसेंस के लिए बातचीत चल रही है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

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