शोध: देश में लगभग 90 फीसदी आबादी जलवायु परिवर्तन से होने वाली घातक गर्मी के कारण मौत के गंभीर जोखिमों को झेल रही है

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 20, 2023 05:25 PM2023-04-20T17:25:16+5:302023-04-20T17:28:47+5:30

लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की ओर से किये गये एक शोध में बताया गया है कि 2022 में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़े घातक तापमान की वजह से 90 फीसदी आबादी के सामने गंभीर मौतों का जोखिम पैदा हो गया है।

Research: Nearly 90% of the country's population faces serious risks of death due to deadly heatwaves caused by climate change | शोध: देश में लगभग 90 फीसदी आबादी जलवायु परिवर्तन से होने वाली घातक गर्मी के कारण मौत के गंभीर जोखिमों को झेल रही है

फाइल फोटो

Highlightsदेश की लगभग 90 फीसदी आबादी जलवायु परिवर्तन के कारण भीषण गर्मी झेलने को बाध्य है2022 में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़े घातक तापमान से गंभीर मौतों का जोखिम पैदा हो गया हैकैंब्रिज यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया यह शोध पीएलओएस क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित हुआ है

दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ने वाली गर्मी की घातक लहरों से देश की लगभग 90 फीसदी आबादी में मौत का जोखिम बढ़ गया है। लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है कि भारत की 90 फीसदी आबादी के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे, भोजन की कमी और 2022 में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़े घातक तापमान से गंभीर मौतों का जोखिम पैदा हो गया है।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया शोध पीएलओएस क्लाइमेट जर्नल में ऐसे समय में प्रकाशित हुआ है, जब भारत के कई राज्यों में गर्मी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट को लिखने वाले डॉक्टर रमित देबनाथ ने कहा, "गर्मी के कारण पैदा होने वाले तनाव भारत में उन उपायों को प्रभावित करता है, जहां आबादी आवर्ती गर्मी की लहरों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील है औऱ उससे पूरे भारत में बनाई जा रही राज्य हीट एक्शन योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगी।" यह देश की आबादी पर गर्मी की लहरों के आवर्ती प्रभावों को मापने के लिए "हीट इंडेक्स" को शामिल करने वाला यह पहला अध्ययन है।

उन्होंने कहा, "तो, इसलिए हमें सबसे पहले यह पता लगाना है कि अत्यधिक गर्मी वास्तव में लोगों को और देश के किस हिस्से को किस तरह से प्रभावित करती है। हीट इंडेक्स मापता है कि मानव शरीर अपने आसपास की परिस्थितियों के सापेक्ष कितना गर्म महसूस करता है जब आर्द्रता और हवा के तापमान को एक साथ जोड़ा जाता है।

भारत में दिल्ली और अन्य बड़े शहरी क्षेत्र में रहने वाली आबादी गर्मी से बेहद असुरक्षित हैं। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में सस्टेनेबल बिल्ट एनवायरनमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर और शोध की सहलेखिका डॉ रोनीता बर्धन ने कहा, "दिल्ली की गर्मी इनडोर ओवरहीटिंग को बढ़ा देती है और यह खासकर उन लोगों के लिए भारी परेशानी का सबब है, जो किफायती और सस्ते आवास में रहते हैं और जिनके पास खुद को ठंडा करने के लिए बेहद कम संसाधन हैं।"

शोधकर्ताओं ने गर्मी की गंभीरता श्रेणियों को वर्गीकृत करने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय डेटा और एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म से राज्य-स्तरीय जलवायु संकेतकों के संबंध में जारी सार्वजनिक डेटा का उपयोग किया है और उसका 2001 से 2021 के बीच यानी 20 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर भारत की प्रगति की तुलना की है। जिसमें उस दो दशक की अवधि के दौरान चरम गर्मी में मौतों का अध्ययन किया गया है।

अध्ययन के परिणामों से पता चला कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह के अनुसार भारत की वैश्विक रैंकिंग पिछले दो दशकों में काफी नीचे चली गई है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 11 को भी पूरा नहीं कर पाया है, जिसमें 13 एसडीजी गोल तो जलवायु के संबंध में महत्वपूर्ण थे।

पिछले अध्ययनों से पता चला है कि भारत में लगातार बढ़ रही गर्मी की लहरों के पीछे देश की अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य संसाधनों पर बढ़ता बोझ भी हैं। दीर्घकालिक भविष्य योजनाओं से पता चलता है कि भारत में 2050 तक गर्मी की लहरें 300 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करेंगी और 2100 तक यह आंकड़ा लगभग 600 मिलियन भारतीयों को अपने प्रभाव में ले लेगा। 
शोध के अनुसार भारत की ओर से गर्मी की लहरों से निपटने की अल्पकालिक योजनाओं पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।

अध्ययन में एक छोटे पैमाने पर किये गये शोध से पता चला है कि बीते कुछ सालों में देश की राजधानी दिल्ली में रहने वालों ने गर्मी के कारण सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। जिसका नतीजा रहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) ने गर्मी की लहर के सारे सूचकांकों को खतरे के स्तर पर छू लिया है।

Web Title: Research: Nearly 90% of the country's population faces serious risks of death due to deadly heatwaves caused by climate change

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