पुराने से पुराने सोरायसिस का आयुर्वेदिक उपचार : चर्म रोग सोरायसिस से राहत पाने के लिए आजमाएं ये सरल घरेलू उपाय
By उस्मान | Published: September 25, 2020 10:43 AM2020-09-25T10:43:13+5:302020-09-25T10:43:13+5:30
सोरायसिस का घरेलू उपचार : यह ऐसा रोग है जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में बढ़ता रहता है, इसका समय पर इलाज जरूरी है
सोरायसिस एक गंभीर बीमारी है। यह एक क्रोनिक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमें त्वचा कोशिकाओं का तेजी से निर्माण होता है। इस बीमारी का उपचार एलोपैथी में नहीं है। इस बीमारी को काफी हद तक आयुर्वेदिक उपचार द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में सोरायसिस रोग से तीन फीसदी आबादी यानी करीब 12.50 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
सोरायसिस क्या है?
त्वचा की इस बीमारी है त्वचा कोशिकाओं का तेजी से निर्माण होता है। कोशिकाओं का अधिक निर्माण त्वचा की सतह पर स्केलिंग का कारण बनता है। इसमें त्वचा की कोशिकाएं त्वचा में गहराई से बढ़ती हैं और धीरे-धीरे सतह पर बढ़ती हैं। स्केल आमतौर पर कोहनी और घुटने पर विकसित होती है। इसके अलावा हाथ, पैर का पंजा, गरदन, खोपड़ी और चेहरे पर भी विकसित हो सकते हैं।
सोरायसिस के सामान्य लक्षण
सोरायसिस के सामान्य लक्षणों में शरीर के प्रभावित सामान्य अंगों में खुजली होती है। त्वचा पर पपड़ी जैसी ऊपरी परत जम जाती है। शरीर में लाल-लाल धब्बे और चकत्ते हो जाते हैं। खुजलाहट के कारण त्वचा लाल हो जाती है और उसमें घाव बन जाते हैं। कई मामलों में सोरायसिस नाखून, मुंह और जननांगों के आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करते हैं।
सोरायसिस का घरेलू उपचार
इसका इलाज काफी लंबा है और इसे लंबे समय तक प्रयोग करना पड़ता है। इसके घरेलू इलाज के लिए आपको 50 ग्राम आक की सूखी लकड़ी, 10 ग्राम चन्दन शुद्ध, 50 नीम की छाल, 50 ग्राम बबूल की छाल, 100 ग्राम नारियल का तेल और 20 से 25 बूंद आक का दूध लेना है।
बनाने की विधि
नारियल तेल और आक के दूध को छोड़कर सभी चीजों को अच्छी तरह से सुखा लें और बारीक पीस लें। इसके बाद इसमे आक के दूध को अच्छी तरह से मिला लें और पुनः सुखा लें। जब मिश्रण पूरी तरह से सूख जाए तो उसमे नारियल का तेल अच्छी तरह से मिलाकर भूसे में गाड़ दें। 15 दिन बाद इसे निकालकर जिस जगह पर सोरायसिस है लगाएं और लगाने के दो घंटे के बाद स्नान कर लें। ऐसा नियमित करने से पुराने से पुरानी सोरायसिस की समस्या खत्म हो सकती है।
सोरायसिस से बचने के लिए खाएं ये चीजें
1) छाछ
आयुर्वेद तक्रधारा के इलाज के अनुसार, सोरायसिस की बीमारी में शुद्ध किए हुए औषधीय छाछ का प्रयोग किया जाता है। इससे स्किन और बाल हेल्दी रहते हैं।
2) नीम
नीम के पत्ते सोरायसिस के इलाज में काफी कारगर होते हैं। नीम का तेल पोषक तत्वों से भरपूर है और इससे सोरायसिस और कील-मुंहासों के इलाज में भी मदद मिलती है। इसे खरोचों व छोटे घावों पर भी लगाया जा सकता है। नीम का तेल त्वचा की शुष्कता और खुजलाहट दूर करता है।
3) अलसी के बीज
सन के बीज में ऐसे पदार्थ होते हैं जो शरीर में सूजन कम करते हैं जैसे ओमेगा 3 फैटी ऐसिड्स। साथ ही इनमें ऐंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं, जो हॉर्मोन के सिक्रीशन ( स्राव) में बैलेंस बनाए रखते हैं। सन के कच्चे या भुने हुए बीज खाने से स्किन साफ रहती है।
4) एंटी-इंफ्लेमेटरी वाली चीजें
जामुन, चेरी और पत्तेदार साग, सैमन, सार्डिन और अन्य मछली, जड़ी-बूटियां और मसाले, जैसे थाइम, ऋषि, जीरा और अदरक, जैतून का तेल, बीज, और नट्स आदि का खूब सेवन करें।
5) विषैले तत्व पैदा करने वाले खाने से बचाव
आयुर्वेद के अनुसार, कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनका खाने के दौरान गलत कॉम्बिनेशन शरीर में विषैले तत्व पैदा कर सकता है। जैसे कि मिल्कशेक और दही कभी एक साथ न खाएं।