गर्भावस्था के दौरान डिब्बाबंद भोजन खाने से बच्चे के स्वास्थ्य पर भूरा असर पड़ सकता है। इससे शिशु के इंडस्ट्रीयल केमिस्ट्री बिस्फेनॉल ए (बीपीए) Bisphenol-A (BPA) के संपर्क में आने का खतरा हो सकता है, जो बाद में उसके स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। कई रिसर्च इस बात का दावा कर चुकी हैं कि इससे भ्रूण, शिशुओं और छोटे बच्चों को दिमागी विकार, मोटापा, अस्थमा और भविष्य में डायबिटीज व हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है।
अमेरिका में बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस रसायन से महिलाओं के ओवेरियन पर अधिक प्रभाव पड़ता है। फूड कैन को बनाने के लिए कंपनियां बीपीए का इस्तेमाल करी हैं। भूजल और गाद में बीपीए का पता लगाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रसवपूर्व की वह अवधि जब गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए अहम समय होता है, उस दौरान हमें इनके संपर्क में आने से होने वाले असर के कई साक्ष्य मिले हैं। उन्होंने कहा कि मानव अंडाणु विकारों से संबंधित कारणों के बारे में और अध्ययन की जरूरत है।
दिमाग पर बुरा असरशिकागो में ऐंडोक्राइन सोसाइटी की 100 बैठक में एक अध्ययन पेश किया गया था जिसमें बताया गया था कि बीपीए की वजह से शिशु के दिमाग के विकास को बाधित कर सकता है और बाद में उसे दिमागी समस्याएं होने का खतरा हो सकता है।
मोटापे का खतराकोलंबिया सेंटर फॉर चिल्ड्रेन एनवायरनमेंटल हेल्थ के शोधकर्ताओं के अनुसार, बीपीए एक ऐसा खतरनाक केमिकल है जो शरीर में हार्मोन में गड़बड़ी पैदा कर सकता है और इससे बच्चे को भविष्य में अस्थमा, चिंता, तनाव, डायबिटीज, मोटापा और हार्ट डिजीज का खतरा हो सकता है।
बिस्फेनॉल-ए (BPA) क्या है? बिस्फेनॉल-ए एक कार्बन आधारित हाइड्रॉक्सिफिनॉल यौगिक है। इसका इस्तेमाल मुख्यतः प्लास्टिक निर्माण में किया जाता है। यह भ्रूण, शिशु और छोटे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।
जिन बच्चों को बिस्फेनॉल-ए की परत ललगी बोटल में या बर्तन में शिशु आहार या दूध दिया जाता है, वे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अध्ययनों ने यह दर्शाया है कि बिस्फेनॉल-ए, प्लौसेंटा और गर्भवती महिलाओं के एमनोइक फ्लूड दोनों में पाया जा सकता है। इसलिए गर्भवती महिला पर इसका प्रभाव सबसे अधिक होता है। इसके बाद भ्रूण में भी बिस्फेनॉल-ए प्रभावन की सम्भावना बढ़ जाती है।