नई दिल्ली: पोलैंड के वैज्ञानिकों ने एक जीन का पता लगाया है जो उनके अनुसार कोविड -19 से संक्रमित होने पर बीमारी को और गंभीर कर देता है। इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि अब इस खोज से उन लोगों को पहचान ज्यादा आसान हो जाएगी, जिन्हें कोरोना से सबसे अधिक खतरा हो सकता है।
मध्य और पूर्वी यूरोप में कोरोना वायरस से हुई बड़ी संख्या में मौतों के पीछे वैक्सीन को लेकर झिझक भी अहम वजह रही है। ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना के सबसे ज्यादा खतरे में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें टीके के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
डेढ़ साल की रिसर्च के बाद मिली सफलता
पोलैंड के स्वास्थ्य मंत्री एडम निडजिएल्स्की ने कहा, 'डेढ़ साल से अधिक की कोशिश के बाद गंभीर रूप से बीमार (कोरोना वायरस संक्रमण के साथ) होने की संभावना के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान करना संभव हो सका।'
उन्होंने कहा, 'इसका मतलब है कि भविष्य में कोविड से गंभीर रूप से बीमार हो सकने वाले लोगों की पहचान कर सकेंगे।'
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ बेलस्टॉक के शोधकर्ताओं ने पाया कि उम्र, वजन और लिंग के बाद यह जीन चौथा सबसे महत्वपूर्ण कारक था जो निर्धारित करता है कि कोई व्यक्ति कोविड -19 से कितनी गंभीरता से पीड़ित हो सकता है।
27 प्रतिशत भारतीयों में है ये जीन
इस रिसर्च के प्रभारी रहे प्रोफेसर मार्सिन मोनियूस्जको ने कहा कि जीन पोलैंड की आबादी के लगभग 14% लोगों में मौजूद है। जबकि पूरे यूरोप में ये 8-9% और भारत में 27% लोगों में है।
इससे पहले अन्य अध्ययनों ने भी आनुवंशिक कारकों के महत्व को दिखाया है, जिसमें कहा गया है कि कोविड -19 से किसी के गंभीर रूप से बीमार होने की ये अहम वजह हो सकती है। पिछले साल नवंबर में ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने एक जीन के एक वर्जन की पहचान की है जो कोविड -19 से फेफड़ों के खराब होने के जोखिम को दोगुना कर सकता है।