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कोरोना संकट के बीच Congo Fever ने दी दस्तक, अलर्ट जारी, जानिये क्या है कांगो बुखार और बचने के उपाय

By उस्मान | Updated: September 30, 2020 09:24 IST

जानिये कांगो बुखार क्या है और क्यों इसे लेकर हाई अलर्ट जारी किया है

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ठळक मुद्देसमय पर इलाज नहीं होने पर मौत का खतरा 30 प्रतिशतलोगों को सावधान रहने के निर्देशसंक्रमण का नहीं कोई इलाज

महाराष्ट्र के पालघर जिले में अधिकारियों को कांगो बुखार (Congo Fever) के संभावित प्रसार को लेकर सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। इसे क्राइमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर (सीसीएफएफ) (Crimean Congo Hemorrhagic Fever (CCHF) का कांगो बुखार भी कहा जाता है। यह टिक (किलनी) के जरिये मनुष्य में फैलता है। 

कांगो बुखार क्या है और यह कैसे फैलता है (What is Congo fever and how it spreads)

कांगो बुखार को क्रीमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर के रूप में जाना जाता है। यह मनुष्यों में टिक (एक प्रकार का कीड़ा) के जरिये फैलता है। समय पर इलाज नहीं होता है तो 30 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है। पीड़ित पशुओं अथवा मनुष्यों के इलाज के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है। 

संक्रमण का नहीं कोई इलाज

जिला प्रशासन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पशुपालकों, मांस विक्रेताओं और पशुपालन अधिकारियों के लिये यह चिंता का विषय है। इस संबंध में समय पर ऐहतियात बरतने की आवश्यकता है क्योंकि सीसीएचएफ का कोई विशेष अथवा उपयोगी इलाज नहीं है।

कई जिलों में फैलने की आशंका

पालघर पशुपालन विभाग के उपायुक्त डॉक्टर प्रशांत डी कांबले ने परिपत्र में कहा कि गुजरात के कुछ जिलों में यह बुखार पाया गया है और उसकी सीमा से लगे महाराष्ट्र के कुछ जिलों में इसके फैलने का खतरा है। पालघर गुजरात के वलसाड जिले के करीब है। 

लोगों को सावधान रहने के निर्देश

विभाग ने अधिकारियों को सभी जरूरी ऐहतियाती कदम उठाने और उन्हें अमल में लाने का निर्देश दिया है। परिपत्र में कहा गया है, ''यह वायरल बीमारी एक विशेष प्रकार की किलनी के जरिये एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है।।।संक्रमित पशुओं के खून से और उनका मांस खाने से यह मनुष्य के शरीर में फैलती है।'' 

समय पर इलाज नहीं होने पर मौत का खतरा 30%

परिपत्र में कहा गया है, ''यदि समय पर रोग का पता नहीं चलता और समय पर इलाज नहीं होता है तो 30 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है।'' परिपत्र के अनुसार इस रोग से पीड़ित पशुओं अथवा मनुष्यों के इलाज के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है। 

कितना घातक है कांगो बुखार?

कांगो बुखार एक खतरनाक बीमारी है, जो बनिएवेरिडा फैमिली के टिक-बोर्न वायरस (नैरोवायरस) से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस्सकी घातक दर 10 से 40 प्रतिशत है और यह वायरस गंभीर वायरल रक्तस्रावी बुखार के प्रकोप का कारण बनता है।

कांगो बुखार का इलाज (Treatment of Congo fever)

बताया जाता है कि इस बीमारी के खिलाफ लोगों या जानवरों के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। यह इंसान से इंसान के संपर्क में आने से फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, चिकित्सा उपकरणों और सुइयों के पुन: उपयोग के कारण भी संक्रमण फैल सकता है। 

कांगो बुखार से बचने के उपाय (Prevention and precaution tips for Congo fever)

विभाग ने अधिकारियों को सभी आवश्यक सावधानी बरतने और निवारक उपायों को लागू करने का निर्देश दिया है। सर्कुलर में कहा गया है कि 'यह वायरल बीमारी एक विशेष प्रकार की टिक द्वारा एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलती है। संक्रमित जानवरों के खून के संपर्क में आने और संक्रमित जानवरों के मांस खाने से यह बीमारी इंसानों में फैलती है। इसलिए आपको संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

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