लाइव न्यूज़ :

यह है कैंसर का वो इलाज और उसका खर्च जिसके लिए दो वैज्ञानिकों को मिला नोबेल पुरस्कार

By उस्मान | Updated: October 5, 2018 11:53 IST

चेकपॉइंट इनहिबिटर से एडवांस मेलेनोमा (स्किन कैंसर), होडकिन लिम्फोमा और फेफड़ों, गुर्दे, मूत्राशय और सिर और गर्दन के कैंसर का इलाज किया जा सकता है। कई अन्य प्रकार के कैंसर में दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है।

Open in App

अमरीका के प्रोफेसर जेम्स पी एलिसन और जापान के प्रोफेसर तासुकू होन्जो को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला है। इन दोनों ने मानव शरीर के इम्यून सिस्टम का इस्तेमाल कर कैंसर को निष्प्रभावी बनाने के लिए एक नया इलाज निकाला है। पुरस्कार देने वाले स्वीडिश अकेडमी और विशेषज्ञों का कहना है कि ये 'काफी प्रभावी' साबित हुआ है। चलिए जानते हैं कि इन दोनों प्रोफेसर ने कैंसर का ऐसा क्या इलाज खोजा है जिस वजह से इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

 'चेक प्वाइंट थेरेपी' से होगा कैंसर का इलाजअब तक कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरपी तक सीमित था। अब इसे इलाज का चौथा चरण माना जा रहा है। उनके इस इलाज को 'चेक प्वाइंट थेरेपी' कहा जा रहा है। इसे इम्युनोथेरेपी भी कहा जाता है। इनका रीसर्च जानलेवा बीमारी कैंसर के इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इनके अनुसार मानव शरीर का इम्यून सिस्टम ही कैंसर से लड़ सकता है। इससे कैंसर के इलाज के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 'इम्यून चेक प्वाइंट थेरेपी' से कैंसर के उपचार में बड़ा बदलाव हुआ है और ये काफी प्रभावी' है। 

'चेक प्वाइंट थेरेपी' कैसे काम करती है? हमारा इम्यून सिस्टम हमें कई बीमरियों से बचाता है लेकिन अंदर ये अपने ही ऊतकों (टिश्यू) के हमले से बचने के लिए एक सेफ़गार्ड भी बनाता है। इन दोनों डॉक्टर ने अलग-अलग काम करते हुए यह सिद्ध किया था कि कैसे शरीर में मौजूद कुछ प्रोटीन इम्यून सिस्टम के टी-सेल पर 'ब्रेक' का काम करते हैं और उन्हें कैंसर सेल्स से लड़ने से रोकते हैं। ऐसे प्रोटीन को निष्क्रिय करके उन सेल्स की कैंसर से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इस तरह हमारा शरीर खुद ही कैंसर की दवा बन सकता है। जिस बीमारी का पहले इलाज होना नामुमकिन था उसके लिए नई दवाईयां लाई गई, जो मरीजों को इस बीमारी से लड़ने के लिए एक नई उम्मीद देगा। इम्यून थेरेपी चेक प्वाइंट का उपयोग एनएचएस द्वारा किया गया है। जिसका इस्तेमाल गंभीर मेलानोमा (त्वचा कैंसर) के इलाज के लिए किया जा रहा है। इससे पूरी तरह से ट्यूमर से छुटकारा मिल रहा है चाहे वो शरीर में पूरी तरह ही क्यों न फैल गया हो। एडवांस लंग्स कैंसर में भी कई डॉक्टर इस ट्रीटमेंट का उपयोग कर रहे हैं।

इम्यूनोथेरेपी से किस प्रकार के कैंसर का इलाज किया जाता है?चेकपॉइंट इनहिबिटर से एडवांस मेलेनोमा (स्किन कैंसर), होडकिन लिम्फोमा और फेफड़ों, गुर्दे, मूत्राशय और सिर और गर्दन के कैंसर का इलाज किया जा सकता है। कई अन्य प्रकार के कैंसर में दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है। अब तक, सेल थेरेपी का प्रयोग ज्यादातर ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे ब्लड क्त कैंसर के लिए किया जाता है।

कैंसर के इस नए इलाज का खर्चइस इलाज के दौरान मरीज को कई दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं के ग्रुप को चेकपॉइंट इनहिबिटर नाम दिया गया है। इनके नाम हैं- ipilimumab (Yervoy), nivolumab (Opdivo) and pembrolizumab (Keytruda)। चेकपॉइंट इनहिबिटर के लिए आपको प्रति वर्ष 100000 से 150,000 डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं। अगर इसे भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट किया जाए तो यह रकम 73,81,050 से 1,10,64,750 के बीच है। 

टॅग्स :कैंसरहेल्थ टिप्समेडिकल ट्रीटमेंटनोबेल पुरस्कार
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यBengaluru: सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सेक्सुअल हेल्थ के इलाज के लिए बैंक लोन लेकर खरीदी थी जड़ी-बूटी, हो गई किडनी की समस्या, ₹48 लाख का हुआ नुकसान

स्वास्थ्यDinner Timing Matters: सर्दियों में जल्दी खाना क्यों बन सकता है हेल्थ गेम-चेंजर?

स्वास्थ्यअध्ययन: बच्चों में बढ़ती हिंसा और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

स्वास्थ्यभारतीय वैज्ञानिकों ने गर्भ के अंदर 'जेनेटिक स्विच' का पता लगाया, गर्भावस्था में हो सकता मददगार

स्वास्थ्यक्या ‘बेरी’ खाना सुरक्षित है? कीटनाशक डाइमेथोएट के बारे में चिंता करना कितना सही

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार

स्वास्थ्यकश्‍मीर की हवा, कोयला जलाने की आदत, आंखों में जलन, गले में चुभन और सांस लेने में दिक्कत?

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत