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सिर्फ देश में नहीं, विदेश में भी भारतीय युवाओं को दिल की बीमारी का अधिक खतरा

By उस्मान | Updated: October 26, 2018 07:31 IST

शोधार्थियों ने बताया कि पश्चिमी देशों में रह रहे अपने देश के प्रवासियों की तुलना में भारतीय युवाओं को करीब एक दशक पहले दिल की बीमारी होने का खतरा है।

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संयुक्त अरब अमीरात के भारतीय प्रवासियों को पश्चिमी देशों में रहने वाले अपने ही मुल्क के लोगों की तुलना में लगभग एक दशक पहले हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

एस्टर हॉस्पिटल्स दुबई की ओर से किए गए अध्ययन में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और फिलीपीन समेत दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों को अपनी जिंदगी के अहम सालों में दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा है।

शोधार्थियों ने बताया कि पश्चिमी देशों में रह रहे अपने देश के प्रवासियों की तुलना में उन्हें करीब एक दशक पहले दिल की बीमारी होने का खतरा है।

यह अध्ययन कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) से पीड़ित विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले मरीजों पर किया गया है, जिनका बीते तीन महीनों के दौरान एस्टर अस्पताल में इलाज हुआ है।

अध्ययन के मुताबिक, यहां रहने वाले युवा भारतीय में किसी भी अन्य देश के नागरिकों की तुलना में कई कारणों से सीएडी होने का ज्यादा खतरा है।

अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ सचिन उपाध्याय ने कहा 'हमारे चिकित्सीय आंकड़े यह कहते हैं कि बीमारी होने से पहले निवारक उपायों को शुरू कर देना चाहिए। युवाओं में अब दिल की बीमारी होना सामान्य है।' 

उन्होंने कहा कि भारत में हुए कई सर्वेक्षण यह संकेत देते हैं कि जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ता है उनमें से 40 प्रतिशत की आयु 55 साल से कम होती है। 

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