350 मरीजों में से 290 या 83.1 प्रतिशत मरीज दवा प्रतिरोधी जीवाणुओं के वाहक हो सकते?, नीदरलैंड, भारत, इटली और अमेरिका में 1,244 मरीजों पर रिसर्च

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 19, 2025 16:58 IST2025-11-19T16:56:40+5:302025-11-19T16:58:38+5:30

India: जीवाणुओं का वाहक बनने की संभावना बढ़ाने वाले अन्य जोखिम कारकों में लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी, दिल के कमजोर होने जैसी स्थितियां या पेनिसिलिन समूह की दवाओं के उपयोग का इतिहास शामिल था।

India 290 out 350 patients or 83-1 percent, may be carrying drug-resistant bacteria Research from 1244 patients Netherlands, India, Italy, and the United States | 350 मरीजों में से 290 या 83.1 प्रतिशत मरीज दवा प्रतिरोधी जीवाणुओं के वाहक हो सकते?, नीदरलैंड, भारत, इटली और अमेरिका में 1,244 मरीजों पर रिसर्च

सांकेतिक फोटो

Highlightsभारत में जांचे गए करीब 350 मरीजों में से 290 या 83.1 प्रतिशत में बहु-औषधि प्रतिरोधी जीवाणु मिले।फैलाव को रोकने के लिए रणनीतियां स्थानीय एंटीबायोटिक प्रतिरोध प्रवृत्ति के अनुरूप बनाई जानी चाहिए। संक्रमण रोकथाम की लक्षित रणनीतियों को क्षेत्र-विशिष्ट संक्रमण नियंत्रण ढांचे का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

नई दिल्लीः एंडोस्कोपी से पहले मरीजों से लिये गए लार (स्वाब) के नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत में करीब 83 प्रतिशत मरीज बहु-औषधि प्रतिरोधी जीवाणुओं के वाहक हो सकते हैं। जनवरी 2022 से अक्टूबर 2024 के बीच नीदरलैंड, भारत, इटली और अमेरिका के तृतीयक स्वास्थ्य केंद्रों में 1,244 मरीजों से गुदा संबंधी और गले-नाक के स्वाब नमूने लिये गए थे। कुल 462 मरीज यानी 37 प्रतिशत इन जीवाणुओं के वाहक पाए गए। भारत में जांचे गए करीब 350 मरीजों में से 290 या 83.1 प्रतिशत में बहु-औषधि प्रतिरोधी जीवाणु मिले।

‘ईक्लिनिकल मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में हैदराबाद के एआईजी हॉस्पिटल के विशेषज्ञों सहित लेखकों ने लिखा, ‘‘ये वाहक भारत में सबसे अधिक (349 में से 290, 83.1 प्रतिशत) और नीदरलैंड में सबसे कम (343 में से 37, 10.8 प्रतिशत) थे जबकि इटली (31.5 प्रतिशत) और अमेरिका (20.1 प्रतिशत) इसके बीच में रहे।’’

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह निष्कर्ष दर्शाते हैं कि विश्व भर में बहु-औषधि रोधी जीवाणुओं का प्रसार काफी भिन्न है और यह विभिन्न देशों में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की अलग-अलग स्थितियों को प्रतिबिंबित करता है। विश्लेषण में कहा गया कि नीदरलैंड के मरीजों की तुलना में भारत का एक मरीज लगभग 100 गुना अधिक संभावना रखता है कि वह बहु-औषधि रोधी जीवाणु का वाहक होगा।

इन जीवाणुओं का वाहक बनने की संभावना बढ़ाने वाले अन्य जोखिम कारकों में लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी, दिल के कमजोर होने जैसी स्थितियां या पेनिसिलिन समूह की दवाओं के उपयोग का इतिहास शामिल था।

शोधकर्ताओं ने कहा कि एंडोस्कोप से संबंधित संक्रमणों के फैलाव को रोकने के लिए रणनीतियां स्थानीय एंटीबायोटिक प्रतिरोध प्रवृत्ति के अनुरूप बनाई जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया से पहले स्क्रीनिंग और संक्रमण रोकथाम की लक्षित रणनीतियों को क्षेत्र-विशिष्ट संक्रमण नियंत्रण ढांचे का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

Web Title: India 290 out 350 patients or 83-1 percent, may be carrying drug-resistant bacteria Research from 1244 patients Netherlands, India, Italy, and the United States

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