ICMR मंकीपॉक्स रोगियों के संपर्क में रहने वालों का करा सकती है सीरो-सर्वेक्षण
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 19, 2022 07:56 PM2022-08-19T19:56:23+5:302022-08-19T20:00:53+5:30
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में मंकीपॉक्स के अब तक कुल दस मामले सामने आ चुके हैं। इसलिए ICMR भारत में मंकीपॉक्स से प्रभावित लोगों के करीबी संपर्कों के बीच एक सीरो-सर्वेक्षण करने के बारे में सोच रहे हैं।
दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) मंकीपॉक्स रोगियों के करीब में रहने वाले लोगों में एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच करने के लिए एक सीरो-सर्वेक्षण कर सकती है। इस मामले में ICMR के अधिकारिक सूत्र ने शुक्रवार को बताया कि अभी तक हमें यह नहीं पता चला है कि स्पर्शोन्मुख मंकीपॉक्स वायरल संक्रमण से प्रभावित लोगों का अनुपात क्या है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में अब तक मंकीपॉक्स के कुल दस मामले सामने आ चुके हैं। ICMR के अधिकारी ने कहा, "हम भारत में मंकीपॉक्स से प्रभावित लोगों के करीबी संपर्कों के बीच एक सीरो-सर्वेक्षण करने के बारे में सोच रहे हैं, जिससे पता चल सके कि उनमें किस तरह की एंटीबॉडी विकसित होती है।"
सूत्रों के मुताबिक सीरो सर्वे का उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि कितने स्वस्थ्य व्यक्ति मंकीपॉक्स के संक्रमितों के संपर्क में आने के कारण बीमारी से संक्रमित हुए लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखाई दिये। इस सीरो सर्वे की चर्चा अभी बहुत शुरुआती चरण में है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में तेजी से पैर फैला रहा मंकीपॉक्स एक वायरल इनफेंक्शन है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। इस रोग में चेचक के समान लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि ये उतने गंभीर नहीं होते हैं।
मंकीपॉक्स बीमारी में आमतौर पर बुखार, शरीर में खुजली, दाने और लिम्फ नोड्स में सूजन होती है। इससे अलााव भी मंकीपॉक्स में कई तरह की चिकित्सीय जटिलताएं हो सकती हैं। वैसे यह आमतौर पर दो से चार सप्ताह रहने वाली बीमारी है। लेकिन चूंकि यह विश्व के कई देशों में तेजी से फैल रहा है इस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)