कोरोना संकट के बीच चीन में नया वायरस 'Cat Que Virus' आया सामने, ICMR ने भारत में जारी की चेतावनी
By उस्मान | Updated: September 29, 2020 15:45 IST2020-09-29T15:45:29+5:302020-09-29T15:45:29+5:30
आईसीएमआर ने कहा है कि यह खतरनाक वायरस पूरे देश में बीमारियां फैला सकता है

कैट क्यू वायरस
कोरोना वायरस संकट के बीच एक और खतरनाक वायरस का पता चला है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने 'कैट क्यू वायरस' (Cat Que Virus) का पता लगाया है। बताया जा रहा है कि फिलहाल यह वायरस चीन में पाया गया है। आईसीएमआर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे पूरे भारत में बीमारियां फैल सकती हैं।
क्या भारत में भी है कैट क्यू वायरस का खतरा ?
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के शोधकर्ताओं ने 883 ह्यूमन सीरम सैंपल में से दो में वायरस के लिए एंटीबॉडी पाई है, जो विभिन्न भारतीय राज्यों से लिए गए थे। इससे पता चलता है कि कुछ बिंदु पर लोग वायरस के संपर्क में आये। अध्ययन के दौरान मानव या जानवरों के नमूनों में वायरस नहीं पाया गया।
कैट क्यू वायरस क्या है?
यह वायरस आर्थ्रोपोड-जनित वायरस की श्रेणी में आता है। ये क्यूलेक्स नाम के मच्छरों के अलावा सूअर में भी पाया जाता है। CQV मनुष्यों में ज्वर की बीमारी, मेनिन्जाइटिस और पेडियेट्रिक इन्सेफेलाइटिस का कारण बन सकता है।
कितना है खतरा?
इस वायरस का संक्रमण फैला तो बड़ी संख्या में स्वास्थ्य संकट खड़ा हो जाएगा। वायरस हमारे देश में दस्तक दे चुका है या नहीं, इसके लिए बड़े स्तर पर जांच करने की योजना बनाई जा रही है। ICMR अध्ययन से पता चला है कि भारत में अलग-अलग नस्लों के मच्छर में CQV की चपेट में आ सकते हैं जिससे ये वायरस फ़ैल सकता है।
कैसे फैलता है ये वायरस?
वैज्ञानिकों ने कहा है कि नए वायरस का पहला होस्ट सुअर है। इसके खून के माध्यम से ये मच्छरों तक और फिर इंसानों तक फैलता है। खतरे की बात ये है कि भारत में जो मच्छर पाए जाते हैं, वे इस वायरस को कैरी कर सकते हैं। इसलिए अगर ये एक बार मच्छरों के माध्यम से फैलने लगा तो वायरस के फैलाव को रोक पाना बेहद मुश्किल होगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में सीक्यूवी के लिए मॉलिक्यूलर और सेरोलॉजिकल जांच विकसित करने की जरूरत है। साथ ही लोगों के अलावा सूअरों की भी स्क्रीनिंग करने और मच्छरों में इसके रेप्लिकेशन की जांच की जरुरत महसूस की जा रही है। ऐसा इसलिए कि संकट गंभीर होने से पहले ही जरूरी तैयारियां की जा सके।
