लाइव न्यूज़ :

कैंसर कोशिकाओं की पहचान करके उन्हें जड़ से खत्म करती हैं इस गुलाबी रंग के फूल की पत्तियां

By उस्मान | Updated: November 10, 2018 07:29 IST

एक नई रिसर्च के अनुसार, इस पौधे में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें उसी क्षण नष्ट करने में सहायक हैं। 

Open in App

सदाबहार (Periwinkle) फूल का पौधा आपको किसी भी गार्डन में नजर आ सकता है। इस पौधे पर गुलाबी और सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल आते हैं। बेशक इस पौधे पर लगने वाले फूल बहुत ज्यादा खुशबूदार ना हों लेकिन इन फूलों का कुछ समुदायों में व्यापक रूप से पारंपरिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इन छोटे-छोटे फूलों में  विन्डोलिन (vindolin) नामक तत्व पाया जाता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में सहायक है। इसके अलावा इसमें विनब्लास्टिन (vinblastine) और विनक्रिस्टिन (vincristine) तत्व भी पाए जाते हैं, जो कैंसर विरोधी हैं। एक नई रिसर्च के अनुसार, इस पौधे में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें उसी क्षण नष्ट करने में सहायक हैं। 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रूड़की के शोधार्थियों ने कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें उसी क्षण नष्ट करने के लिए 'फ्लूरोसेंट कार्बन नैनोडॉट्स' विकसित किया है। नैनो कार्बन सामग्री सदाबाहर फूल के पौधे की पत्तियों से निकाली गई है। इस पौधे का आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।डायबिटीज, मलेरिया और होडकिन लिम्फोमा के इलाज के लिए पारंपरिक चीनी दवाओं में इसके रस का उपयोग किया जाता है।

शोध टीम का नेतृत्व करने वाले पी. गोपीनाथ ने बताया कि इस तरह की प्रणाली कैंसर के इलाज के लिए एक नयी चीज है। इन नैनो पदार्थों के जरिए हम इमेजिंग प्रणाली से कैंसर कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं और उसी क्षण उन्हें नष्ट कर सकते हैं। 

उन्होंने कहा कि कैंसर की पहचान और इलाज के लिए अगले चरण में इन नैनो पदार्थों का जंतुओं पर अध्ययन करने की योजना है। आईआईटी की टीम के इस शोध को साइंस एंड इंजीनयरिंग रिसर्च बोर्ड (सर्ब) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से सहयोग प्राप्त हुआ है। गोपीनाथ ने कहा कि कैंसर कोशिकाओं की पहचान और उन्हें नष्ट करना कैंसर उपचार और इसकी औषधि पर शोध के क्षेत्र में कई साल से चुनौती है।  

सदाबहार की पत्तियों के अन्य फायदे

1) हाइपरटेंशन करते हैं कम

अगर आप हाई बीपी के शिकार हैं, तो यह छोटी-छोटी पत्तियों वाले फूल आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। इनसे आपको बीपी को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आपको 6 से 7 फूलों के पत्तों को एक गिलास पानी में मिक्स करना है और इस पानी को रात को सोने से पहले पीना है। 

2) डायबिटीज करते हैं कंट्रोल

फूलों के 15 से 16 पत्ते लें और उन्हें तीन कप पानी में उबाल लें। इस पानी को दिन में दो बार पियें। ध्यान रहे कि बचे हुए पानी को दोबारा इस्तेमाल ना करें। दूसरे दिन नया मिश्रण तैयार करें।

3) किडनी की पथरी का रामबाण इलाज

एक मुट्ठी पत्तियां लें और उन्हें अच्छी तरह धोकर तीन कप पानी में उबाल लें। पानी को इतना उबालें कि वो आधा ही रह जाए। इस पानी को दिन में दो बार पियें। दूसरे दिन नया मिश्रण तैयार करें। 

इस बात का रखें ध्यान

अगर आप कैंसर से पीड़ित हैं, तो आपको सीधे रूप से इन पत्तियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आपको बता दें वैज्ञानिक अध्ययन करके इसका इस्तेमाल चिकित्सीय सुविधाओं के लिए करते हैं। सीधे रूप से इसका सेवन करने से आपको नुकसान भी हो सकते हैं। 

टॅग्स :कैंसरहेल्थ टिप्सहेल्थी फूडडायबिटीजघरेलू नुस्खेमेडिकल ट्रीटमेंट
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यBengaluru: सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सेक्सुअल हेल्थ के इलाज के लिए बैंक लोन लेकर खरीदी थी जड़ी-बूटी, हो गई किडनी की समस्या, ₹48 लाख का हुआ नुकसान

स्वास्थ्यDinner Timing Matters: सर्दियों में जल्दी खाना क्यों बन सकता है हेल्थ गेम-चेंजर?

स्वास्थ्यअध्ययन: बच्चों में बढ़ती हिंसा और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

स्वास्थ्यभारतीय वैज्ञानिकों ने गर्भ के अंदर 'जेनेटिक स्विच' का पता लगाया, गर्भावस्था में हो सकता मददगार

स्वास्थ्यक्या ‘बेरी’ खाना सुरक्षित है? कीटनाशक डाइमेथोएट के बारे में चिंता करना कितना सही

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार

स्वास्थ्यकश्‍मीर की हवा, कोयला जलाने की आदत, आंखों में जलन, गले में चुभन और सांस लेने में दिक्कत?

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत