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स्वाइन फ्लू, डेंगू, वायरल फीवर से ज्यादा खतरनाक है Hay fever, इस जानलेवा बुखार से ऐसे बचें

By उस्मान | Updated: April 12, 2019 11:53 IST

Health tips in Hindi: एक अध्ययन के अनुसार, भारत की कुल आबादी में लगभग 25 फीसदी लोग इसकी चपेट में हैं, इसका मतलब यह है कि हर पांच में से एक व्यक्ति इससे पीड़ित है। अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

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मौसम बदलने के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही वायरल फीवर, स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया के साथ-साथ साथ Hay fever का भी खतरा बना हुआ है। यह बुखार कॉमन और वायरल फीवर से अलग होता है। मुसीबत यह है कि यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को अपनी चपेट में लेता है। इससे पीड़ित मरीज के सामान्य जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

एक अध्ययन के अनुसार, भारत की कुल आबादी में लगभग 25 फीसदी लोग इसकी चपेट में हैं, इसका मतलब यह है कि हर पांच में से एक व्यक्ति इससे पीड़ित है। अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इस बुखार की चपेट में आने से मरीज को एलर्जी, अस्थमा, एटोपिक, एक्जिमा, कान में इन्फेक्शन, साइनस, अनिद्रा आदि की भी समस्या हो सकती है।

Hay fever क्या है?

दिल्ली के मशहूर जरनल फिजिशियन डॉक्टर विनोद कुमार के अनुसार, Hay fever को allergic rhinitis भी कहते हैं जिसके लक्षणों में सर्दी-जुकाम, नाक बहना, आंखों में खुजली,बेचैनी, छींक और साइनस आदि हैं। लेकिन कोल्ड फीवर के विपरीत यह बुखार वायरस के कारण नहीं होता है। यह फीवर बाहरी या अंदर की एलर्जी के कारण एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण होता है जिसमें पराग, धूल के कण, बिल्ली, कुत्ते जैसे पालतू जानवरों की त्वचा और लार के सम्पर्क में आने या पंखों के कारण होता है। 

हे फीवर के लक्षण और लक्षण (Hay fever signs and symptoms)

इस बुखार के लक्षणों में नाक का बहना, नाम का बंद होना, आंख से पानी आना,  खुजली होना या लाल होना, छींक आना, खांसी, नाम में खुजली, मुंह या गले में सूजन होना, आंखों में सूजन या नीची की त्वचा  नीली होना, थकान और कमजोर महसूस होना शामिल हैं।

Hay fever के कारण

जब आप hay fever की चपेट में आते हैं, तो इससे आपका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने लगता है। आपका इम्युनिटी सिस्टम इस हानिरहित पदार्थ के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती है। अगली बार जब आप पदार्थ के संपर्क में आते हैं, तो ये एंटीबॉडी आपके इम्यून सिस्टम को हिस्टामाइन जैसे रसायनों को आपके रक्तप्रवाह में छोड़ने के लिए संकेत देते हैं, जो एक प्रतिक्रिया का कारण बनता है जिससे हाय फीवर के संकेत और लक्षण बढ़ते हैं।

Hay fever का इलाज

आप इस बुखार के लक्षणों से एलर्जी की दवाओं से राहत नहीं पा सकते हैं। इसके अलावा इन दवाओं के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं। इस बुखार के होने पर आपको और भी कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे nasal polyps, अस्थमा या sinus infections। बहुत से लोगों खासकर बच्चों को बुखार के लक्षणों की आदत होती है, इसलिए जब तक लक्षण गंभीर नहीं हो जाते, तब तक उनका इलाज नहीं हो सकता है। लेकिन सही इलाज मिलने से राहत मिल सकती है।

Hay fever से बचाव

हाय फीवर होने से बचने का कोई उपाय नहीं है। यदि आपको बुखार है, तो सबसे अच्छी बात यह है कि आपके लक्षणों का कारण बनने वाली एलर्जी से अपना बचाव करें। एलर्जी की दवा लेने से पहले एलर्जी की दवाएं लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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