'अल्जाइमर' ने छीन ली थी जॉर्ज फर्नांडिस की याद्दाश्त, इससे युवाओं को भी खतरा, रोग से बचाएगा रोज 20 मिनट का ये काम
By उस्मान | Published: January 29, 2019 10:28 AM2019-01-29T10:28:36+5:302019-01-29T10:57:32+5:30
रिपोर्ट के अनुसार, फर्नांडीस साल 2010 से ही पार्किन्सन और अल्जाइमर डिजीज से पीड़ित थे और उनकी याद्दाश्त लगभग पूरी तरह खत्म हो गई थी। शुरुआत में उनका इलाज हरिद्वार स्थित बाबा रामदेव के आश्रम में चला था।
अटल बिहारी सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस का निधन हो गया है। उन्होंने 88 साल की आयु में आखिरी सांस ली। वो पिछले कुछ सालों से अस्वस्थ होने के कारण बिस्तर पर थे। बताया जा रहा है कि वो दिमागी बीमारी अल्जाइमर और संक्रामक रोग स्वाइन फ्लू से पीड़ित। फर्नांडिस 1998 से 2004 तक रक्षा मंत्री रहे और 9 बार लोकसभा सांसद रहे। उनके निधन से राजनीति में भूचाल आ गया है।
1970 के दशक में समाजवादी आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक जॉर्ज फर्नांडिस जनता दल के वरिष्ठ नेता थे। इससे पहले उन्होंने समता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान रक्षा मंत्रालय के अलावा, फर्नांडीस के पास संचार, उद्योग और रेलवे सहित कई मंत्री विभाग थे।
George Sahab represented the best of India’s political leadership.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 29, 2019
Frank and fearless, forthright and farsighted, he made a valuable contribution to our country. He was among the most effective voices for the rights of the poor and marginalised.
Saddened by his passing away.
रिपोर्ट के अनुसार, फर्नांडीस साल 2010 से ही पार्किन्सन और अल्जाइमर डिजीज से पीड़ित थे और उनकी याददाश्त लगभग पूरी तरह खत्म हो गई थी। शुरुआत में उनका इलाज हरिद्वार स्थित बाबा रामदेव के आश्रम में चला था।
अल्जाइमर डिजीज से पीड़ित थे फर्नांडीस
जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ टूबीनगेन के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ऑटोसोमल डॉमिनेन्ट अल्जाइमर डिजीज (एडीएडी) एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है। जिसमें कम उम्र में ही याददाश्त की समस्या पैदा हो जाती है।
यह अध्ययन 'अल्जाइमर एंड डिमेंशिया' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में याददाश्त और शारीरिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण सबंध दिखाया गया है। यह संबंध एडीएडी वाले लोगों में भी दिखता है।
अल्जाइमर रोग का कारण
अल्जाइमर रोग होने का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, फिर भी निदान के अनुसार, यह पाया जाता है कि मस्तिष्क समय के साथ सिकुड़ने लगता है। सबसे पहले इसका असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है जो याददाश्त को कम करने का कारण बनता है। वैज्ञानिक अन्वेषण के अनुसार, लक्षण दिखाई देने से पहले जीवनशैली में परिवर्तन होने लगता है।
मस्तिष्क की कोशिकाओं के चारों ओर एमीलोइड प्लेक नामक एक प्रोटीन दिखने लगता है। मस्तिष्क कोशिकाओं के भीतर टाऊ नामक एक दूसरे प्रोटीन के इकट्ठा होने से गांठे बनने लगती हैं। अल्जाइमर रोग से ग्रस्त लोगों के मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर एसिटाइलॉक्लिन का स्तर कम हो जाता है।
अल्जाइमर रोग की पहचान कैसे करें?
अल्जाइमर रोग का केवल लक्षणों से पहचान नहीं की जा सकती है। अल्जाइमर रोग के लक्षणों में हैं-
नई चीजों को समझने की क्षमता में कमी
भटकाव
बात को दोहराना और एक ही बात बार-बार पूछना
व्यवहार और समझ में परिवर्तन
संवेदनाओं की कमी
चेहरों और वस्तुओं को पहचानने में असमर्थता
पढ़ने में कठिनाई
चीजों को इधर-उधर रखना
गलत निर्णय और निर्णय लेने में कठिनाई
चिंता और भटकाव
अनिद्रा, भ्रम और भयावहता
बोलने में कठिनाई
अल्जाइमर डिजीज से बचने का तरीका
प्रत्येक सप्ताह कम से कम ढाई घंटे तक व्यायाम करने से उन लोगों में यददाश्त की समस्या आने को लंबे समय तक रोका जा सकता है जिनके डीएनए में स्थायी रूप से गड़बड़ियां होने से अल्जाइमर बीमारी का खतरा रहता है। एक अध्ययन से यह जानकारी मिली है।
जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ टूबीनगेन के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ऑटोसोमल डॉमिनेन्ट अल्जाइमर डिजीज (एडीएडी) एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है। जिसमें कम उम्र में ही याददाश्त की समस्या पैदा हो जाती है।
यह अध्ययन 'अल्जाइमर एंड डिमेंशिया' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में याददाश्त और शारीरिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण सबंध दिखाया गया है। यह संबंध एडीएडी वाले लोगों में भी दिखता है।