ये हैं वो 45 बीमारियां जिनमें तुरंत पड़ती है एमरजेंसी की जरूरत, वरना जा सकती है मरीज की जान

By उस्मान | Published: December 18, 2019 10:45 AM2019-12-18T10:45:32+5:302019-12-18T10:45:32+5:30

आपको बता दें कि स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे सैकड़ों मामले हैं जिनका इमरजेंसी वार्ड में इलाज किया जा सकता है। 

emergency diseases list, emergency health services and phone number, emergency ambulance services | ये हैं वो 45 बीमारियां जिनमें तुरंत पड़ती है एमरजेंसी की जरूरत, वरना जा सकती है मरीज की जान

ये हैं वो 45 बीमारियां जिनमें तुरंत पड़ती है एमरजेंसी की जरूरत, वरना जा सकती है मरीज की जान

Highlights इमरजेंसी केयर यूनिट इसलिए होती है ताकि समय पर इलाज देकर मरीज की जान बचाई जा सकेआपातकालीन देखभाल सेवाओं को 24 घंटे के आधार पर चलाया जाता है

दुनिया के हर छोटे-बड़े अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं जरूर होती है। अगर आपको लगता है कि इमरजेंसी में केवल दुर्घटना के मामलों का इलाज किया जाता है, तो आप गलत हैं। आपको बता दें कि स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे सैकड़ों मामले हैं जिनका इमरजेंसी वार्ड में इलाज किया जा सकता है। 

सभी अस्पतालों में इमरजेंसी केयर यूनिट इसलिए होती है ताकि समय पर इलाज देकर मरीज की जान बचाई जा सके। यहां मरीजों की सहायता के लिए विशेषज्ञों की पूरी, जिसमें एक्सपर्ट डॉक्टर से लेकर, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस और सहायक होते हैं ताकि किसी भी तरह की चिकित्सीय आपातकालीन समस्याओं से आराम से निपटा जा सके। 

आपातकालीन देखभाल सेवाओं को 24 घंटे के आधार पर चलाया जाता है और मानकीकृत अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन देखभाल प्रोटोकॉल और मानकों का उपयोग करते हुए संचालित होता है। इमरजेंसी यूनिट में अनुभवी और योग्य स्टाफ जैसे इंटेन्सिविस्ट और महत्वपूर्ण देखभाल विशेषज्ञ हैं जो न्यूरोसर्जन, आर्थोपेडियंस, कार्डियोलॉजिस्ट और वैस्कुलर सर्जन होते हैं। 

हम आपको कुछ ऐसी बीमारियों और स्थितियों के बारे में बता रहे हैं जिनका समय पर और तुरंत इलाज जरूरी है। अगर इन स्थितियों में पीड़ित को समय पर इलाज नहीं मिला, तो उसका जीना मुश्किल हो सकता है।

1-10
सदमा लगना, जलना, शरीर का तापमान कम हो जाना, लू लगना, फ्रॉस्टबाइट (ठंड की वजह से टिश्यू को डैमेज करने वाली बीमारी), पानी में डूबना, बिजली की झटका, भांग की विषाक्तता, धतूरा विषाक्तता, कोकीन विषाक्तता।

11-20
अफीम विषाक्तता, बार्बिट्यूरेट दवा की विषाक्तता, आर्सेनिक की विषाक्तता, सायनाइड विषाक्तता, कॉपर सल्फेट की विषाक्तता, शराब की विषाक्तता, मधुमक्खी/दतैया/बर्र का काटना, बिच्छु का काटना, तेज उल्टियां, पानी की कमी।

21-30
मूत्र में खून आना, मूर्छा/बेहोशी, रक्तस्त्राव, रक्त की कमी, हाथी पॉव, डेंगू बुखार, अनल फिशर (गुदा में होने वाली बीमारी) मोटापा, श्वास रोग दमा, श्वास नली की सूजन। 

31-40
पागल कुत्ते का काटना, काली खांसी, हैजा, लकवा, कमर दर्द, हताश हो जाना यानी अवसाद, टीबी, विटामिन ए और डी की कमी से होने वाला रोग- रतौंधी/ रात को दिखाई ना देना, विटामिन बी1 की कमी से होने वाला रोग- नाड़ी शूल, विटामिन बी2 की कमी से होने वाला रोग- शरीर की पीड़ा, दुबलापन, नजला एंव थकावट।

41-45
विटामिन बी1 और बी12 कमी से होने वाला रोग- स्नायु शूल, सम्पूर्ण शरीर में दर्द, नर्वस सिस्टम की कमजोरी तथा नर्वससिस्टम के रोग, विटामिन सी की कमी से होने वाला रोग- नजला, जुकाम, हरारत, रोग क्षमता की कमी, स्कर्वी रोग, रक्तस्कन्दन की कमी, विटामिन ई की कमी से होने वाला रोग- नपुंसकता, बांझपन, रक्त संचार की कमी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी से होने वाला रोग- भुख ना लगना भोजन करने की इच्छा ना होना भोजन का ना पचना कब्ज मुख में छाले और हाथ-पैर के तलवों में जलन होना। 

इस बात का रखें ध्यान
अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को ऊपर बताई किसी स्थिति के लक्षण महसूस होते हैं, तो आपको तुरंत आपातकाल नंबर 108 पर कॉल करना चाहिए और तुरंत पीड़ित को अस्पताल ले जाना चाहिए ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। 

Web Title: emergency diseases list, emergency health services and phone number, emergency ambulance services

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