नवरात्रि के पर्व के उपास के लिए विभिन्न रिवाज हैं जिन्हें लोग विभिन्न तरीकों से मानते हैं। नवरात्रि के उपवास की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन दिनों आप विभिन्न चीजों का सेवन कर सकते हैं। इन दिनों व्रत में लोग कुट्टू और सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, मखाना, नट्स, आलू और फ्रूट्स जैसी चीजों का सेवन करते हैं।
डायबिटीज के मरीजों को व्रत के दौरान अतिरिक्त सावधान रहने की जरूरत होती है। अगर उन्हें व्रत रखना है तो इस बात का ध्यान रखें कि ब्लड ग्लूकोज लेवल मेंटेन रहे। हम आपको बता रहे हैं कि आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपको कोई नुकसान न हो।
1) नवरात्रि के उपवास के दौरान डायबिटीज के मरीजों को अपना नॉर्मल डाइट प्लान फॉलो करना चाहिए। उन्हें अपने अनाज को कुट्टू का आटा या सिंघाड़ा के आटे से बदल देना चाहिए।
2) नवरात्रि उपवास के दौरान प्रोटीन स्रोत के लिए केवल दूध और पनीर का इस्तेमाल करें।
3) डायबिटीज के मरीज जौ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहतर चीज है।
4) इन दिनों सिंघाड़ा आटे का अधिक इस्तेमाल किया जाता है जिसमें सभी पोषक तत्व होते हैं। इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स है और इस प्रकार नवरात्रि उपवास के दौरान डायबिटीज मरीजों के लिए बेहतर है।
5) नवरात्रि उपवास में आलू भी शामिल है। लेकिन आपको आलू खाने से बचना चाहिए। इसके बजाय वो दही के साथ रोटी खा सकते हैं और अपने खाने में सलाद शामिल कर सकते हैं।
6) आपको कुट्टू या सिंघाड़ा आटे की रोटी ही खानी चाहिए। इसके अलावा पूरी या पकौड़ी जैसी ऑयली चीजों से बचना चाहिए।
डायबिटीज और उपवास को लेकर क्या कहती है रिसर्च
एक नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक खास नियम के तहत उपवास रखने से आपको इन डायबिटीज और मोटापे को कंट्रोल रखें में मदद मिल सकती है। समय-समय पर योजनाबद्ध तरीके से उपवास रखने से टाइप 2 प्रकार के डायबिटीज रोग में मरीज को फायदा पहुंच सकता है।
ऐसा करने से चिकित्सक तीन मरीजों में इंसुलिन की जरूरत को कम करने में सफल रहे हैं। टाइप 2 डायबिटीज में यूं तो जीवनशैली में बदलाव करने से फायदा मिलता है लेकिन ऐसा करके हमेशा ही ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रख पाना संभव नहीं है।
ऐसे हुई रिसर्चकनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय और स्कारबोरो अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक 40 से 67 वर्ष के आयुवर्ग के तीन व्यक्तियों ने योजनाबद्ध तरीके से उपवास रखा। ये मरीज रोग पर नियंत्रण के लिए कई दवाइयां ले रहे थे और इंसुलिन भी नियमित रूप से ले रहे थे। टाइप 2 मधुमेह के अलावा वह उच्च रक्तचाप तथा उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से भी ग्रसित थे।
यह निकला नतीजाइनमें से दो लोगों ने हर एक दिन के बाद पूरे 24 घंटे का उपवास रखा जबकि तीसरे ने हफ्ते में तीन दिन तक उपवास रखा। इस दौरान उन्होंने बहुत ही कम कैलोरी वाला पेय या खाद्य पदार्थ इस्तेमाल किया। लगभग दस महीने तक उन्होंने यह जारी रखा। इसके बाद उनकी रक्त शर्करा, वजन आदि की फिर से जांच की गई।
उपवास शुरू करने के महीनेभर के भीतर ही तीनों की इंसुलिन की जरूरत कम हो गई। दो व्यक्तियों ने डायबिटीज संबंधी अन्य दवाएं लेना भी बंद कर दिया जबकि तीसरे ने चार में से तीन दवाइयां लेना बंद कर दिया। तीनों का दस से 18 फीसदी तक वजन कम हो गया। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि महज तीन मामलों पर आधारित इस शोध से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)