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भारत में Dementia के 4.1 मिलियन मरीज, जानें मानसिक बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय

By उस्मान | Updated: May 14, 2019 07:25 IST

यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्गों में देखने को मिलती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो मानसिक कामकाज को प्रभावित करती है। आमतौर पर, लोग मेमोरी लॉस या डिमेंशिया को अल्जाइमर रोग से जोड़ते हैं लेकिन डिमेंशिया रोग के कई प्रकार हैं।

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ठळक मुद्देइसमें इंसान के सोचने-समझने की क्षमता धीरे-धीरे होने लगती है कमभारत में अनुमानित 4.1 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित साल 2035 इसके मरीजों की संख्या दोगुनी हो जाएगी

मनोभ्रंश या डिमेंशिया (Dementia) एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जो लंबे समय के लिए मेमोरी लॉस का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं, इसमें इंसान के सोचने-समझने की क्षमता भी धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस बीमारी का एक मुख्य प्रकार अल्जाइमर रोग है।

यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्गों में देखने को मिलती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो मानसिक कामकाज को प्रभावित करती है। आमतौर पर, लोग मेमोरी लॉस या डिमेंशिया को अल्जाइमर रोग से जोड़ते हैं लेकिन डिमेंशिया रोग के कई प्रकार हैं।

इस बीमारी में मरीज को सबसे पहले व्यवहार से संबंधी परेशानियां जैसे चिड़चिड़ापन, लोगों से दुर्व्यवहार और रोजाना किये जाने वाली कामों में भी परेशानियां आना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। मेमोरी लॉस इसका सबसे आखिरी लक्षण है। डिमेंशिया के लिए मेडिकल भाषा में एक शब्द है जिसे ‘Neuro-Cognitive Disorders for Dementia’ कहते हैं।

डॉक्टर मानते हैं कि अधिकतर मरीज इसका कराने में देरी कर देते हैं। इसका सबसे कारण है कि मरीज के परिजन उनके लक्षणों को व्यावहारिक तौर पर सुधारने में लग जाते हैं। दूसरा इसके लक्षणों के बारे में  जागरूकता की कमी की वजह से भी इलाज में देरी हो जाती है।

बुजुर्गों में इस बीमारी के कारणों में ब्लड प्रेशर बढ़ना और हार्ट डिजीज हैं, जिसका सीधा असर दिमाग के कामकाज पर पड़ता है। हालांकि उम्र बढ़ने और मेमोरी लॉस होने के कारण डिमेंशिया की शुरुआत होने लगती है।  

भारत में डिमेंशिया से 4.1 मिलियन लोग पीड़ित

अल्जाइमर एंड रिलेटेड डिसऑर्डर सोसाइटी ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अनुमानित 4.1 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं और इस संख्या के साथ भारत दूसरे स्थान पर है। ऐसा अनुमान है कि साल 2035 इसके मरीजों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। सिर्फ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में 2026 तक डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 5,00,000 से अधिक हो जाएगी।

डिमेंशिया के लक्षण

- जरूरी चीजें भूल जाना (जैसे, नाश्ता करा था या नहीं)- छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना- रोजाना के काम करने में दिक्कत महसूस करना- गलत किस्म के कपड़े पहनना, कपड़े उलटे पहनना - तारीख भूल जाना- किस घर में हैं, किस शहर में हैं, किस देश में भूल जाना - चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है- नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत  - भटक जाना- व्यक्तित्व में बदलाव- फैसला नहीं ले पाना- भावनाओं पर नियंत्रित नहीं कर पाना- अचानक व्यवहार का बदलना

डिमेंशिया के कारण और इलाज

डॉक्टर मानते हैं कि दिमाग में कोशिकाओं के डैमेज होने से डिमेंशिया हो सकता है। इसके अलावा सिर की चोट, स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर के कारण भी यह रोग हो सकता है। दिमाग में कई बड़े बदलाव भी इसका कारण बन सकते हैं।

डॉक्टर मानते हैं कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। अगर किसी के परिवार में किसी व्यक्ति में डिमेंशिया के लक्षण दिखते हैं, तो आपको उसे बिना देरी किये साइकेट्रिस्ट के पास ले जाना चाहिए. डिमेंशिया को नियंत्रित करने के लिए शुरुआती पहचान और निदान उपयोगी होता है।

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