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दिल्ली प्रदूषण: आंख की जलन, सांस की तकलीफ, अस्थमा, खांसी, बलगम, गले की खराश, सिरदर्द का रामबाण इलाज हैं 16 चीजें

By उस्मान | Updated: November 4, 2019 11:10 IST

प्रदूषण की वजह से लोगों को आंख और सांस से जुड़ीं समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को घरों से निकलते ही आंखों में जलन की समस्या हो रही है। अस्पतालों में भी आंख व गले के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले लगभग दस दिनों से ऐसी खतरनाक स्थिति बनी हुई है। प्रदूषण के खतरे को देखते हुए शहर के सभी स्कूलों को कुछ दिनों तक बंद करने और किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये गए हैं। इस बीच शहर में ऑड-ईवन नियम भी लागू किया गया है। 

प्रदूषण की वजह से लोगों को आंख और सांस से जुड़ीं समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को घरों से निकलते ही आंखों में जलन की समस्या हो रही है। अस्पतालों में भी आंख व गले के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

राह चलते लोग आंखों में जलन से परेशान हो रहे और सर्दी-खांसी से पीड़ित लोगों का भी दर्द भी बढ़ने लगा है। इस विषय में किसी सुधार के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं, दूसरी तरफ अस्पतालों में सांस-रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ने लगी है। इतना ही नहीं, सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में मरीज बढ़ने लगे हैं। 

एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक सोमवार को दिल्ली के लोधी रोड में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली के 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 21 में एक्यूआई 490 से 500 के बीच दर्ज किया गया। सीपीसीबी के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को शाम चार बजे 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 494 दर्ज किया गया जो छह नवंबर 2016 के बाद से सर्वाधिक है।

प्रदूषण से है इन गंभीर समस्याओं का खतरा

दिल्ली की हवा में प्रदूषण बढ़ने से इसका सबसे अधिक बुरा असर आंखों पर पड़ रहा है। इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, टीबी और गले में में इन्फेक्शन, साइनस, अस्थमा और फेफड़ों से सम्बंधित बीमारियां हो सकती हैं। 

प्रदूषण ख़राब होने से कई लोगों को आंखों का सूखापन, कंजंक्टिवाइटिस, आंखों में जलन, आंखों में खुजली, आंखों का लाल होना, धुंधला दिखना और आंखों में दर्द सबसे अधिक खतरा होता है।

अध्ययनों से पता चला है कि खाने-पीने की कुछ चीजें इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने और प्रदूषण से निपटने में मदद कर सकती हैं।

गुड़गुड़ में आयरन होता है जो रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन ले जाने की फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है। इसके लिए आप रोजाना गुड़ की चाय का सेवन कर सकते हैं। 

खट्टे फलविटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, विशेष रूप से नींबू और संतरे, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं, ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें ओमेगा फैटी एसिड होते हैं, मैग्नीशियम भी शरीर के प्रदूषकों से लड़ने में मदद करते हैं। 

शहदजो लोग सांस लेने की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें शहद का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह बलगम को साफ करने में मदद करता है।  

नींबू, अदरक, और पुदीनानींबू को नैचुरल क्लींजर के रूप में जाना जाता है और इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। सुबह में अदरक और पुदीना के साथ नींबू पानी पियें। इससे श्वसन मार्ग को खोलने और फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद मिलती है।

अंगूर का रसअंगूर का रस विषाक्त पदार्थों को बाहर करके फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो  फेफड़ों में सूजन को रोकने में मदद करता है। अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर से पीड़ितों के लिए यह बेहतर है। फेफड़ों को ठीक करने के लिए सप्ताह में एक बार इस रस का सेवन करें।

हल्दी और अदरक का पानी हल्दी में कर्क्यूमिन होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, कैंसर विरोधी होता है और इसमें एंटी-टॉक्सिसिटी गुण भी होते हैं। यह अंगों को नुकसान से बचाने के लिए शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। अदरक मतली को ठीक करने में भी मदद करता है जो बहुत अधिक धुएं के कारण होता है।

गाजर का जूसगाजर के रस में बीटा-कैरोटीन और विटामिन ए, के, सी और बी के उच्च स्तर होते हैं। इसका रस रक्त की क्षारीयता को सुधारने में योगदान देता है और फेफड़ों के कैंसर के खतरे को भी कम करता है।

हल्दी का दूधहल्दी वाला दूध सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। 

नीम औत तुलसी के पत्तेवायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव से तुलसी और नीम मदद कर सकते हैं। प्रतिदिन दो-तीन नीम की पत्तियों को चबाएं। सुबह सबसे पहले तुलसी पत्ता चबाने की आदत बनाएं। 

काली मिर्च पाउडरकाली मिर्च पाउडर भी फेफड़ों को शुद्ध करने में मदद करता है और गर्म पानी के साथ किया जा सकता है। 

गर्म पानी के गरारेइसके अतिरिक्त, वह सलाह देते हैं कि चूंकि प्रदूषण और धुंध गले में जमाव का कारण बनते हैं, इसलिए घर से बाहर आने के बाद गर्म पानी से गरारे करने का अभ्यास करना चाहिए क्योंकि यह खांसी को दूर करने में मदद करता है और तुरंत राहत प्रदान करता है।

गर्म पानी का भाप स्टीम लेने से नाक साफ करने में मदद मिलेगी और इससे राहत मिलेगी।

इन बातों का रखें ध्यान

1) घर से बाहर निकलने से बचें। खासकर सुबह के समय जब सबसे अधिक प्रदूषण अधिक होता है। 

2) आंखों का चश्मा जरूर पहनें, इससे आंखों का प्रदूषण से काफी हद तक बचाया जा सकता है। 

3) सफर के बाद और सोने से पहले साफ पानी से आंखों को धोयें। 

4) आंखों को हाथों से छूने से बचें और हाथ धोने के बाद ही आंखों को टच करें। आंखें रगड़ने से बचें।

5) आंखों में जलन होने पर सिर्फ डॉक्टर द्वारा निर्धारित आई ड्रॉप का ही इस्तेमाल करें। 

6) इस दौरान कांटेक्ट लेंस न पहनें और आई मेकअप से बचें। 

7) जलन कम करने के लिए कूल कॉम्प्रेसएहतर होगा  का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।  

8) लंबे समय तक स्क्रीन डिवाइस, जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप का उपयोग न करें। सु 

9) स्वस्थ आहार खाएं जिसमें ओमेगा 3 और एंटीऑक्सीडेंट, जैसे कि मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, पालक, बादाम, अखरोट और जामुन समृद्ध खाद्य पदार्थ शामिल हों। ये आंखों के लिए बेहद अच्छे हैं।

10) अपने घर बेहतर क्वालिटी वाला एयर पोलुशन लगवाएं। इससे घर की हवा साफ होती है। 

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