कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है। नए मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है, जिसे बच्चों के लिए घातक माना जा रहा है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सरकार मार्च, 2022 तक बच्चों का टीकाकरण शुरू कर सकती है। दिसंबर तक अंडर-18 आयु वर्ग के लिए तीन-चार टीकों को मंजूरी मिलने की संभावना है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, Zydus Cadila की कोविड-19 वैक्सीन 'ZyCoV-D' को अगस्त के अंत तक आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जबकि भारत बायोटेक की कोवाक्सिन दुनिया की एकमात्र वैक्सीन जिसका 2-18 साल आयु वर्ग में उपयोग के लिए परीक्षण किया जा रहा है। यह वैक्सीन सितंबर तक आ सकती है।
जेनोवा फार्मास्यूटिकल्स द्वारा विकसित किया जा रहा एक एमआरएनए टीका भी है। यद्यपि एमआरएनए वैक्सीन वर्तमान में वयस्कों में उपयोग की जा रही है लेकिन अलग-अलग परीक्षणों के बिना बच्चों के लिए इसे अनुमोदित किए जाने की संभावना है।
भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) दवार निर्मित नोवावैक्स कोविड-19 वैक्सीन को दिसंबर तक आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किए जाने की संभावना है। सरकार का लक्ष्य वर्ष के अंत तक वयस्क आबादी का टीकाकरण करना है।
बच्चों में कोरोना के लक्षण
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि 'कोविड -19 संक्रमण वाले अधिकांश बच्चों में या तो लक्षण नहीं होते हैं या फिर बहुत हल्के लक्षण होते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बच्चों में सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ, थकान, गले में खराश, मायलगिया (मांसपेशियों में दर्द), राइनोरिया (नाक से ज्यादा पानी या गाढ़ा बलगम आना), दस्त, गंध की कमी, स्वाद की हानि हो सकते हैं।
इनके अलावा कुछ बच्चे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी पेट की गड़बड़ी से जुड़े लक्षण महसूस कर सकते हैं। मंत्रालय ने यह भी नोट किया कि बच्चों में सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के रूप में जाना जाने वाला एक नया सिंड्रोम भी देखा गया है, ऐसे मामलों में लगातार बुखार होता है।
बच्चों को कोरोना होने पर माता-पिता क्या करें
जिन बच्चों में लक्षण नहीं हैं और वो पॉजिटिव हैं, तो उन्हें घर पर ही मैनेज किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि ऐसे बच्चों की पहचान स्क्रीनिंग के दौरान की जाती है, अगर परिवार के सदस्यों की पहचान कोविड पॉजिटिव के रूप में होती है।
उन्हें लक्षणों के विकास और बाद के उपचार के लिए निगरानी की आवश्यकता होती है। इस बीच, मध्य रोगों वाले बच्चों में गले में खराश, खांसी या सांस लेने में थोड़ी समस्या हो सकती है, जिसके लिए किसी जांच की आवश्यकता नहीं होती है। स्वास्थ्य मंत्रालय की सिफारिश है कि ऐसे बच्चों को होम आइसोलेशन और रोगसूचक उपचार के साथ घर पर ही प्रबंधित किया जाना चाहिए।
मंत्रालय ने एक ट्वीट में दिल की बीमारी, फेफड़ों की पुरानी बीमारी, पुराने अंगों की बीमारी वाले बच्चों को घर पर रखने और घर पर इलाज कराने की भी सिफारिश की है।
तीसरी लहर में बच्चों में कैसे होंगे कोरोना के लक्षण
डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों में कोरोना वायरस के लक्षण बहुत कम नजर आते हैं या बहुत हल्के होते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि तीसरी लहर में भी बच्चों में कम लक्षण नजर आ सकते हैं। हालांकि कई मामलों में मध्यम से गंभीर लक्षण भी देखने को मिले हैं।
बच्चों के संक्रमित होने पर क्या करें
वैसे तो बच्चों में कोरोना के लक्षण नजर नहीं आते लेकिन आपको फिर भी उनके लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। संक्रमित होने के दो से छह हफ्ते के बीच बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस) के लक्षण नजर आ सकते हैं। इसके लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत इलाज शुरू करा देना चाहिए।
हल्के लक्षणों में क्या करें
अगर बच्चे में हल्के लक्षण हैं और उसकी उम्र दस साल से ज्यादा है, तो उसे घर में अलग रखें और उस दौरान कोरोना नियमों का पालन करें। खासकर डाइटका ध्यान रखें। अगर लक्षण गंभीर हो रहे हैं, तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
घर में बच्चों को किस तरह का खाना दें
होम आइसोलेशन के दौरान बच्चों को हेल्दी डाइट दें और उसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिए। इसके अलावा बच्चों को तरल पदार्थों की कमी न होने दें। डायरिया या दस्त जैसी समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
गंभीर लक्षण के मामले में क्या करें
अगर बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही है, भूख की कमी है, नाक की समस्या है, ऑक्सीजन की कमी है, पेट की गड़बड़ के लक्षण हैं, तो ऐसे में आपको अस्पताल जाना चाहिए।
बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या करें
बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए चार चीजें बहुत जरूरी हैं जिसमें हेल्दी डाइट, नींद, एक्सरसाइज और मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना शामिल है। जंक फूड से बचें, हाइड्रेट रहें, पर्याप्त नींद लें, रोजाना एक्सरसाइज करें।