कोरोना वायरस ने भारत सहित पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। कोरोना का कोई स्थायी इलाज नहीं है। टीकाकरण से भी कोई खास असर नहीं हो रहा है। एक्सपर्ट्स कोरोना से बचाव के लिए अभी भी मास्क, सामाजिक दूरी और साफ-सफाई को ही प्रमुख हथियार मान रहे हैं।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। कोरोना के नए रूप इसका कारण माने जा रहे हैं। साथ ही इसके लक्षण भी गंभीर होते जा रहे हैं। एक्सपर्ट्स डबल मास्किंग की सलाह दे रहे हैं।
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सर्जिकल और कपड़े के मास्क पहनने पर कुछ दिशानिर्देश साझा किए हैं। उन्हें कब, कैसे और कैसे पहनना चाहिए और किस तरह का मास्क इस दौरान ज्यादा असरदार हो सकता है।
मेडिकल या सर्जिकल मास्कट्विटर पर साझा किए गए एक वीडियो में, डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी कि किस-किस तरह के लोगों को मेडिकल या सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए। इसमें शामिल हैं स्वास्थ्यकर्मी, जिन लोगों में कोरोना के लक्षण हैं, जो लोग किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, जिन्हें कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
ऐसे क्षेत्रों में जहां वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा है और एक मीटर की सामाजिक दूरी को बनाए रखना मुश्किल है, वहां 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों और पुरानी बीमारियों से पीड़ितों को इस तरह का मास्क पहनना चाहिए।
कपड़े का मास्कइस तरह के मास्क कोरोना की बीमारी आने के बाद ही तैयार हुए हैं। इससे पहले इनका नामोनिशान तक नहीं था। पिछले एक साल में इस तरह के मास्क एक बिजनेस के रूप में भी उभरे हैं।
डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी कि कपड़े के मास्क उन लोगों द्वारा पहने जा सकते हैं जिनके पास कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इसमें वे लोग शामिल हैं जो भीड़ में काम करते हैं। इसके अलावा परिवहन, कार्यस्थलों, किराने की दुकानों और अन्य भीड़ वाले स्थानों पर इस तरह का मास्क पहना जा सकता है।