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COVID-19 vaccine: बूस्टर शॉट्स और तीसरी डोज में क्या फर्क है और इनकी सबसे ज्यादा जरूरत किन लोगों को है ?

By उस्मान | Updated: November 10, 2021 09:38 IST

कई देशों में अधिक जोखिम वाले लोगों को बूस्टर शॉट दिया जा रहा है और भारत में भी इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है

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ठळक मुद्देकई देशों में अधिक जोखिम वाले लोगों को बूस्टर शॉट दिया जा रहा है भारत में भी इसे लेकर काफी चर्चा हो रही हैजानें कोरोना की तीसरी डोज क्या है और कब दी जाती है

कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ दुनियाभर में टीकाकरण जारी है। इस बीच वैज्ञानिकों को कोरोना के कई नए वेरिएंट का पता चला है जिसमें भारत में पाए गए कोरोना 'डेल्टा वेरिएंट' को काफी घातक माना जा रहा है। ऐसे में महामारी से निपटने के लिए बूस्टर शॉट्स की जरूरत पर चर्चा होने लगी है।

कई देशों में अधिक जोखिम वाले लोगों को बूस्टर शॉट दिया जा रहा है और भारत में भी इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। कुछ लोग बूस्टर शॉट्स को कोरोना की तीसरी डोज समझ रहे हैं। चलिए जानते हैं कि बूस्टर शॉट और तीसरी डोज में क्या अंतर होता है और इनकी किसे जरूरत होती है।

बूस्टर कोविड शॉट्स क्या है ?

बूस्टर वैक्सीन डोज एक एक्स्ट्रा शॉट है, जो उन लोगों को दिया जाता है, जिनकी इम्यूनिटी दोनों डोज लेने के पांच से छह महीने बाद कम हो जाती है। बूस्टर शॉट की सलाह उन्हें दी जा रही है, जो कोरोना के अधिक जोखिम हैं जैसे- फ्रंटलाइन वर्कर्स, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग या 50 वर्ष से अधिक आयु के वो लोग, जो पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं।  

 कोरोना की तीसरी डोज क्या है और कब दी जाती है ?

बूस्टर शॉट्स के विपरीत, तीसरी डोज थोड़ी अलग तरह से काम करती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो पहली बार में ठीक तरह से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं कर पाते हैं या गंभीर रूप से प्रतिरक्षित (immunocompromised) हैं। यह स्थिति मूल टीकाकरण को कम प्रभावी बना देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों को तीसरी डोज देने से उन्हें सामान्य, स्वस्थ आबादी के समान प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से मेल खाने में मदद मिल सकती है। 

क्या बूस्टर शॉट और तीसरे डोज के उपयोग में अंतर है?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, बूस्टर शॉट्स और तीसरी डोज लोगों को रोगजनक के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने और उन्हें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है। वैसे दोनों में कई अंतर हैं। 

- तीसरी डोज वैक्सीन की एक 'फुल डोज' है जबकि अभी दिए जा रहे बूस्टर शॉट्स की मात्रा कम या वैक्सीन इंजेक्शन है, क्योंकि एक्स्ट्रा डोज केवल प्रभावकारिता सीमा को बढ़ाने वाली है।

विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि इनमें जिन दुष्प्रभावों की उम्मीद की जा सकती है उनमें कुछ अंतर हो सकते हैं।बूस्टर शॉट्स में कुछ वैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं, जो दूसरी डोज में होते हैं। हालांकि तीसरी डोज कितनी गंभीर या सुरक्षित हो सकती है, इस बारे में सही जानकारी मौजूद नहीं है।

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