चीन की कोविड-19 वैक्सीन CoronaVac ने मरीजों में 28 दिन में एंटीबॉडीज पैदा की, जानें किस टीके का परीक्षण कहां पहुंचा
By उस्मान | Published: November 18, 2020 03:30 PM2020-11-18T15:30:03+5:302020-11-18T15:35:07+5:30
कोरोना वायरस की वैक्सीन: जानिये कोरोना वायरस की वैक्सीन कब आएगी और किस टीके का परीक्षण कहां पहुंचा
चीन में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए 'कोरोना वैक' (CoronaVac) टीके के प्रारंभिक चरण के क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों में यह दावा किया गया है कि यह दवा अब तक सुरक्षित साबित हुई है और इसने 18 से 59 वर्ष के स्वस्थ लोगों में एंटीबॉडीज विकसित की है।
'लैन्सेट इंफेक्शियस डिसीज' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार संक्रमण का टीका बनाने की दौड़ में शामिल 'कोरोना वैक' के पहले टीकाकारण के 28 दिन के भीतर यह लोगों में एंटीबॉडीज प्रतिक्रिया पैदा कर सकता है।
चीन के जियांग्सू प्रॉवेंशियल सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल के शोधकर्ताओं ने सर्वाधिक एंटीबॉडीज प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए सबसे ज्यादा डोज का पता लगाने का दावा किया है।
अध्ययन के सह लेखक फेंगकई झू के मुताबिक, 'हमारा अध्ययन बताता है कि कोरोना वैक के दो डोज 14 दिन के अंतराल में दिए जाने पर यह टीकाकारण के चार सप्ताह के भीतर सर्वाधिक एंटीबॉडीज प्रतिक्रिया पैदा करने में सक्षम है।'
उन्होंने कहा, 'लंबे अंतराल में जब कोविड-19 का खतरा कम हो जाएगा, तब एक माह के अंतर में दो डोज देना दीर्घकालिक प्रतिरोधी तंत्र विकसित करने के लिए पर्याप्त रहेगा।'
'कोविशिल्ड' के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए पंजीकरण पूरा
पुणे स्थित 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ' (एसआईआई) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारत में कोविड-19 के टीके 'कोविशील्ड' के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए 1,600 प्रतिभागियों का पंजीकरण पूरा होने की घोषणा की।
एसआईआई और आईसीएमआर देश में 15 विभिन्न केन्द्रों में 'कोविशील्ड' का 2/3 चरण का क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं। आईसीएमआर ने कहा, 'अभी तक हुए परीक्षणों के परिणाम से यह उम्मीद जगी है कि 'कोविशील्ड' घातक वैश्विक महामारी का एक वास्तविक समाधान हो सकता है। भारत में अभी तक जितने टीकों का मानव परीक्षण हुआ है, इसके नतीजे सबसे अच्छे हैं।
जायडस कैडिला का परीक्षण का दूसरा चरण पूरा
दवा कंपनी जायडस कैडिला ने कहा कि उसने कोविड-19 के मरीजों पर चिकित्सकीय परीक्षण का दूसरा चरण बायोलॉजिकल थेरेपी ‘पेगीहेप’ के साथ सफलतापूर्वक पूरा किया है और अब कंपनी चिकित्सकीय परीक्षण का तीसरा चरण शुरू करेगी।
जायडस कैडिला ने कहा कि पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा - 2बी ने कोविड-19 के मरीजों में उल्लेखनीय रूप से वायरल को कम किया है और ऑक्सीजन की कमी को दूर किया है।
कम तापमान पर ही रखा जा सकता है फाइजर का कोविड-19 टीका
एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि दवा कंपनी फाइजर द्वारा विकसित संभावित कोविड-19 टीके के भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है और यह भारत जैसे विकासशील देशों, खास तौर से कस्बों और ग्रामीण इलाकों में टीके की आपूर्ति के लिए बड़ी चुनौती है।
गुलेरिया का कहना है कि भारत में ज्यादार टीकों को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जाता है। देश के ज्यादातर हिस्सों में कोल्ड चेन में सबसे कम शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे तक के तापमान में टीके रखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश के कस्बों, गांवों और सुदूर क्षेत्रों में इतने कम तापमान वाली कोल्ड स्टोरेज चेन नहीं हैं, ऐसे में टीके को वहां तक पहुंचाना बड़ी चुनौती होगा।
स्पूतनिक-5 टीका कोविड-19 पर 92 प्रतिशत तक प्रभावी
रूस के गमालेया राष्ट्रीय महामारी विज्ञान एवं सूक्ष्मजीव अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार किये जा रहे कोविड-19 के ‘स्पूतनिक-5’ नामक टीका परीक्षण में 92 प्रतिशत तक प्रभावी पाया गया है। रूस में हो रहे सबसे ज्यादा रेंडमाइज्ड प्लेसिबो नियंत्रित तीसरे चरण के ट्रायल से प्राप्त प्रथम अंतरिम आंकड़ों के आधार पर यह पुष्टि की गई।
भारत में बनेगा सार्स-सीओवी-2, एचआईवी का टीका
भारतीय विज्ञान संस्थान ने दावा किया कि संस्थान के आणविक जैवभौतिकी इकाई के प्रोफेसर राघवन वरदराजन के नेतृत्व में अनुसंधानकर्ता सार्स-सीओवी-2 और एचआईवी के खिलाफ प्रभावी टीका रणनीति विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।