भारत में कोरोना वायरस के संक्रमितों की कुल संख्या 1,08,47,304 हो गई और अब तक 1,55,158 मरीजों की इस वायरस से जान जा चुकी है। संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों की संख्या 1,05,48,521 पहुंच गई है। संक्रमण से उबरने की दर 97.25 प्रतिशत है जबकि कोविड-19 की मृत्यु दर 1.43 है।
संक्रमण का उपचार करा रहे मरीजों की संख्या 1,43,625 है जो कुल मामलों का 1.32 फीसदी है। अबतक 20,25,87,758 नमूनों की जांच की जा चुकी है। 70 फीसदी से अधिक मौतें पहले से किसी बीमारी के कारण हुई हैं।
24 दिनों में 60 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 24 दिनों में कोरोना वायरस रोधी टीका लगवाने वालों की संख्या 60 लाख के पार चली गयी। अमेरिका 26 दिनों में इस आंकड़े पर पहुंचा जबकि ब्रिटेन को 46 दिन लग गये। अग्रिम मोर्चा के कर्मियों के लिए दो फरवरी को टीकाकरण शुरू किया गया था।
टीका लेने वालों के लिए बीमा नहीं सरकार ने कहा कि कोविड-19 का टीका लेने पर किसी प्रकार के दुष्प्रभाव या चिकित्सा जटिलता होने की स्थिति में बीमा का कोई प्रावधान नहीं है। लाभार्थियों के लिए कोविड-19 टीकाकरण पूरी तरह से स्वैच्छिक है।
हर टीकाकरण स्थल पर, टीका लगने के बाद किसी तरह की एलर्जी या अन्य दुष्प्रभाव होने की स्थिति में तत्काल मदद या उपचार के लिए ‘एनाफिलेक्सिस’ किट उपलब्ध कराने के साथ ही कई अन्य कदम भी उठाए गए हैं।
टीका लगवाने के बाद बेपरवाह न होकेन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 का टीका होने का मतलब यह नहीं है कि किसी को बेपरवाह हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवारक उपायों का अभी और निकट भविष्य में भी पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि टीका आने के बाद कोविड-19 से बचने के लिए एहतियाती उपायों का पालन किया जाना चाहिए। निवारक उपायों का अभी और निकट भविष्य में भी पालन किया जाना चाहिए।
नए कोरोना पर प्रभावी है फाइजर का टीका अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन जैवप्रौद्योगिकी कंपनी बायोएनटेक द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित कोविड-19 टीका, कोरोना वायरस के उस नए प्रकार से सुरक्षा दे सकता है जो पहले ब्रिटेन और फिर दक्षिण अफ्रीका में पाया गया। एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
नेचर मेडिसिन’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस के ‘एन501वाई’ और ‘ई484के’ म्यूटेशन पर उक्त टीका प्रभावी है। अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों समेत विशेषज्ञों के दल के अनुसार, टीके का वायरस के ई484के म्यूटेशन पर पड़ने वाला प्रभाव एन501वाई म्यूटेशन पर पड़ने वाले प्रभाव से थोड़ा कम है।
कोविड-19 से जल्द ठीक कर सकती है प्रायोगिक दवा वैज्ञानिकों ने पाया है एक प्रायोगिक '' एंटीवायरल '' दवाई कोविड-19 के उन मरीजों के ठीक होने की रफ्तार बढ़ा सकती है जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। इससे कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के बेहतर इलाज में मदद मिल सकती है।
'' लांसेट रेस्पेरटरी मेडिसिन '' नाम के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जिन मरीजों को '' पेजइंटरफरॉन-लाम्बडा '' नाम की दवा का एक इंजेक्शन दिया गया, उनमें उस एक समूह की तुलना में सात दिन के अंदर संक्रमण को खत्म करने की चार गुना अधिक संभावना है जिसका इलाज '' प्लेस्बो '' (जिसमें मरीज जो दवाई खाता है, वह असल नहीं होती है) से किया गया है।