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COVID-19 in India: भारत में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ने के 5 कारण

By उस्मान | Updated: April 21, 2021 14:03 IST

भारत में एक दिन में रिकॉर्ड तीन लाख के करीब नए मामले

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ठळक मुद्देभारत में एक दिन में रिकॉर्ड तीन लाख के करीब नए मामले मृतकों की संख्या 1.82 लाख पारकुल मामले 1.56 करोड़ पार

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के करीब तीन लाख नए मामले आने से कुल संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 1,56,16,130 हो गयी, जबकि 2,023 और मरीजों की मौत हो जाने से मृतकों की संख्या 1,82,553 हो गयी है। पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 2,95,041 नए मामले आने से उपचाराधीन मरीजों की संख्या 21 लाख से अधिक हो गयी। 

देश में लगातार 42 वें दिन मामलों में बढ़ोतरी से उपचाराधीन मरीजों की संख्या 21,57,538 हो गयी है जो कि संक्रमण के कुल मामलों का 13.82 प्रतिशत है। देश में ठीक होने की दर भी घटकर 85.01 प्रतिशत रह गयी है। 

देश में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण से 1,32,76,039 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि मृत्यु दर 1.17 प्रतिशत हो गयी है। चलिए जानते हैं भारत में कोरोना के मामले बढ़ने के प्रमुख कारण क्या हैं।

तैयारी का अभावफरवरी की शुरुआत में भारत में वायरस नियंत्रण में था। दैनिक मामले मुश्किल से एक दिन में 10,000 से अधिक थे, जो 1.3 बिलियन लोगों के देश के लिए कम माना जाता था। लेकिन तब से लेकर अब तक यह संख्या बीस गुना बढ़ गई है। गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मार्च में कहा था कि देश वायरस के 'एंडगेम' में प्रवेश कर चुका है, लेकिन उस समय तक मामले सामने आने लगे थे। 

भारत में महामारी पर नजर रखने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में बायोस्टैटिस्टियन भ्रामर मुखर्जी के अनुसार, भारत ने ब्राजील और यूके जैसे देशों से कोई सीख नहीं ली, जहां कोरोना कई स्ट्रेन सामने आए और हालात बिगड़ने लगे।

कोरोना का डबल म्यूटेंटभारत में पाए गए कोविड के नए संस्करण ने सबसे ज्यादा चिंता पैदा की है। मामले बढ़ने के लिए इसे सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। इस वैरिएंट को B.1.617 के रूप में जाना जाता है और इसमें एक के बजाय दो स्पाइक प्रोटीन होते हैं। इसे पिछले ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। हालांकि वैज्ञानिक अभी भी निश्चित नहीं हैं कि यह कितना खतरनाक है। पहले महाराष्ट्र और अब देश के बाकी हिस्सों में तेजी से फैल रहा है।

स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गईअस्पताल में बेड नहीं मिलना और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी जैसी जरूरी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कमी की कई रपटें सामने आ रही हैं। हताश परिजन सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रहे हैं। विशेष रूप से ऑक्सीजन की भी भारी कमी बताई जा रही है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल सहित कई मंत्री केंद्र से ऑक्सीजन की कमी की शिकायत कर चुके हैं। इसके अलावा प्रयोगशालाओं में टेस्ट की संख्या बढ़ गई। भारत के सबसे बड़े निजी परीक्षण प्रयोगशालाओं में से एक, थायरोकेर के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ए वेलुमनी ने बताया कि यह मांग पिछले साल की तुलना में अब तीन गुना है।

लॉकडाउन ने बहुत जल्दी ढील दी गईभारत को पिछले साल इसके तेजी से लॉकडाउन के लिए सराहा गया था, लेकिन जल्दी खत्म होने से सरकार की आलोचना हुई है। लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे सब सामान्य हो गया जबकि कोरोना खत्म नहीं हुआ था। लोगों ने कोरोना के नियम फॉलो करने बंद कर दिए। नेताओं ने भी चुनावी रैलियां करके इस कमी को पूरा कर दिया। सबने निडर होकर फेस्टिवल मनाए और विशेष रूप से हरिद्वार में विशाल कुंभ मेले का आयोजन किया गया। 

टीकाकरण भी नहीं आया कामभारत ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया लेकिन यह कोरोना को रोकने में काम नहीं आया। आपूर्ति की कमी के कारण देश में बाधा उत्पन्न हुई है। कोरोना की लाखों डोज खराब हो गई जिस पर कोर्ट ने सरकार की खिंचाई की। इसके अलावा टीका लगवाने भी पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। भारत दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है और अब घरेलू उत्पादन के लिए कुछ उत्पादन को हटाने की उम्मीद है, जिससे दुनिया में अन्य जगहों पर कमी हो सकती है।

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