कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच एक बुरी खबर आई है। कोरोना वायरस का टीका बनाने की दौड़ में सबसे आगे चल रही एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (AstraZeneca and University of Oxford) द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण स्थायी रूप से रोक दिया गया है। बताया जा रहा है कि ट्रायल के दौरान यूनाइटेड किंगडम में एक वालंटियर में इसके गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिले हैं।
एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ सबसे आशाजनक रूप में देखा जा रहा है। जाहिर है इस खबर से पूरी दुनिया को एक बड़ा झटका लगा है।
कंपनी कर रही जांचमनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अब जांच कर रही है कि गंभीर साइड इफेक्ट वाले मरीज की रिपोर्ट इस वैक्सीन के शॉट से जुड़ी है या नहीं। कोविड-19 वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे रहने वाली इस कंपनी ने 8 सितंबर को एक बयान में कहा कि कंपनी ने फिलहाल टीकाकरण को रोक दिया।
यूके में देखने को मिले संभावित दुष्प्रभावकंपनी ने अपनी वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में किसी भी जानकारी को प्रकट नहीं किया है। लेकिन स्वास्थ्य और चिकित्सा विषयों पर रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट STAT ने सबसे पहले परीक्षण में विराम की रिपोर्ट करते हुए कहा कि यूनाइटेड किंगडम में इसके संभावित दुष्प्रभाव सामने आए हैं।
अमेरिका में होना है 30,000 लोगों पर परीक्षणएस्ट्राजेनेका के एक प्रवक्ता ने अमेरिका और अन्य देशों में टीकाकरण के अध्ययन को रोकने की पुष्टि की है। पिछले महीने के आखिर में एस्ट्राजेनेका ने टीके के अपने सबसे बड़े अध्ययन के लिए अमेरिका में 30,000 लोगों की भर्ती शुरू की थी। ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में हजारों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है।
ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर कोरोना वायरस के इलाज की वैक्सीन बनाई है। शोधकर्ताओं ने इसे प्रारंभिक चरण के नैदानिक परीक्षणों में सुरक्षित पाया है। हाल ही में द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित परिणामों के अनुसार, AZD1222 वैक्सीन, ChAdOx1 नामक एक चिम्पांजी एडेनोवायरस पर आधारित है, जो कि एंटीबॉडी और टी-सेल इम्यून रेस्पोंस है।
कोरोना का इलाज खोजने में सबसे आगे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
ऑक्सफोर्ड की यह वैक्सीन कोरोना के इलाज में सबसे आगे है और इसका पहले से ही यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में फेज II/III ट्रायल चल रहा है। अगर यह वैक्सीन मानव परीक्षणों में सफल होती है, तो कोरोना वायरस का इलाज संभव हो सकता है। एस्ट्राज़ेनेका ने अमेरिका के लिए 400 मिलियन और यूके के लिए 100 मिलियन का उत्पादन करने के लिए सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम गणना के अनुसार, दो दर्जन से अधिक प्रायोगिक टीकों का मनुष्यों में परीक्षण किया जा रहा है और 160 से अधिक विकास के पहले चरणों में हैं।
ऑक्सफोर्ड की ChAdOx1 कोविड-19 वैक्सीन क्या है?
ऑक्सफोर्ड की AZD1222 वैक्सीन आनुवंशिक रूप से engineered वायरस से बनी है, जो चिंपैंजी में कॉमन फ्लू का कारण बनता है। हालाँकि, वायरस को संशोधित किया गया है ताकि यह लोगों में संक्रमण का कारण न बने और कोरोना वायरस की नकल भी कर सके।
कैसे काम करती है ChAdOx1 वैक्सीन
वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 'स्पाइक प्रोटीन' के आनुवंशिक निर्देशों को स्थानांतरित करके ऐसा किया। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि वैक्सीन कोरोना वायरस से मिलता जुलता हो और प्रतिरक्षा प्रणाली इस पर हमला करना सीख सके।