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Covid-19 vaccine human trail: इस नौजवान पर होगा देश की पहली कोविड-19 वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल, जानिए कब आएगा बाजार में, कीमत

By उस्मान | Updated: July 9, 2020 09:10 IST

हाल ही में अमेरिका में इयान नामक व्यक्ति पर सबसे पहला ह्यूमन ट्रायल हुआ है

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ठळक मुद्दे15 अगस्त को लॉन्च हो सकता है कोरोना वायरस का टीकाभारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर बनाया है टीका सफलता मिलने के बाद कोरोना का इलाज संभव

कोरोना वायरस के इलाज के लिए पहला देसी टीका (COVAXIN) 15 अगस्त को लॉन्च हो सकता है। इसे देश की घरेलू दवा कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने आईसीएमआर के साथ मिलकर बना रही है। हालांकि इस टीके का ह्यूमन ट्रायल यानी मानव परीक्षण होना बाकी है। इसे तीसरा चरण कहा जाता है। इसमें सफलता मिलने के बाद कंपनी दवा तैयार कर सकती है। बताया जा रहा है कि इस टीके के 12 सेंटरों में परीक्षण होने हैं। 

जी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, देश के इस पहले टीके के ह्यूमन ट्रायल के लिए चिरंजीत धीबर नामक व्यक्ति का नाम सामने आया है। चिरंजीत पेशे से एक स्कूल टीचर हैं। उन्हें परीक्षण के लिए आईसीएमआर के भुवनेश्वर केंद्र जाना होगा, हालांकि अभी तारीख तय नहीं है। चिरंजीत ने अप्रैल में ही क्लीनिकल ट्रायल के लिए आवदेन किया था। 

कौन हैं चिरंजीत धीबरबताया जा रहा है कि चिरंजीत बंगाल के दुर्गापुर में एक स्कूल में टीचर हैं। साथ ही, आरएसएस की अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की प्राथमिक इकाई के राज्यस्तरीय कमेटी में सदस्य हैं।

खुद पर ट्रायल के लिए कैसे तैयार हुए चिरंजीतचिरंजीत ने कहा कि यह खतरनाक बीमारी पूरे देश में फैल रही है और मुझे अब इसे खत्म करने में योगदान करने का मौका मिला है। परिजनों के विरोध के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है। हालानी अब परिजन इसके लिए तैयार हैं।

उनका कहना है कि उनके मन में हमेशा एक डर बना रहता है, क्योंकि उन्होंने कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया। उम्मीद है कि मानव परीक्षण सफल होगा और कोरोना का टीका (वैक्सीन) जल्दी से मिल जाएगा।

ह्यूमन ट्रायल के लिए चयन कैसे हुआरिपोर्ट के अनुसार, इस ह्यूमन क्लीनिल ट्रायल के लिए सिर्फ उन्ही लोगों को चुना जाएगा या चुना गया है, जो अपनी मर्जी से आगे आए हैं। उन्हें इसके बारे में सबकुछ पहले ही बता दिया जाएगा और उनकी सहमति के बाद ही उन्हें परीक्षण में शामिल किया जाएगा। 

ह्यूमन ट्रायल क्या हैजाहिर है टीका या दवा बनाना कोई आसान काम नहीं है और यही वजह है कि सात महीने बाद बाद भी इसका स्थायी इलाज नहीं मिला है। टीके या दवा के कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए तैयार की गई वैक्सीन को कई चरणों से गुजरना पड़ता है।

सबसे पहले दवाई को लैब में टेस्ट किया जाता है। इस ट्रायल में कामयाबी हासिल करने के बाद जानवरों पर ट्रायल किया जाता है। अगर ये ट्रायल भी कामयाब हो जाता है तो उसके बाद इंसानों पर दवाई को ट्रायल किया जाता है। जिसे आखिरी चरण कहते हैं, इस ट्रायल में कुछ ही लोगों को शामिल किया जाता है।

अमेरिका में इयान हेडन पर हुआ सबसे पहला ह्यूमन ट्रायलतीसरे चरण में वालंटियर को टेस्ट डोज दी जाती है और टीका पर उनकी प्रतिक्रियाओं की निगरानी की जाती है। अमेरिका के वैक्सीन रिसर्च सेंटर और फार्मा कंपनी मॉडर्मा द्वारा विकसित वैक्सीन की  पहले ही मानव परीक्षणों की शुरुआत हो चुकी है। इस वैक्सीन के ट्रायल सबसे पहले 29 वर्षीय इयान हेडन नाम के व्यक्ति पर किया गया है। 

टीका लगने के बाद चढ़ा तेज बुखारबताया जा रहा है कि इयान को टीका देने के बाद कई गंभीर प्रतिक्रिया देखने को मिली हैं। एसटीएटी मेडिकल जर्नी के अनुसार, टीका देने के केवल 12 घंटे बाद इयान को 39।5 डिग्री बुखार चढ़ गया था और बढ़ते-बढ़ते 103 डिग्री पर पहुंच गया।

ऐसा रहा इयान का अनुभववैक्सीन दिए जाने के बाद उन्हें शुरू के कुछ घंटे तक ऐसा लगा जैसे यह फ्लू का टीका है। इयान को थर्मामीटर से शरीर का तापमान बार-बार चेक करते रहने को कहा गया। लक्षणों को डायरी में लिखने की बात कही। कुछ दिनों तक सब सामान्य रहा और 28 दिन बाद उन्हें दूसरा डोज दिया गया। 

लेकिन इस बार अनुभव पहले जैसा नहीं था। शरीर में बदलाव की शुरुआत पहले ही घंटे में हुई और हाथों में दर्द शुरू हुआ। रात को सोते समय अचानक कंपकंपी छूटने लगी। उन्हें नींद नहीं आई और धीरे-धीरे कई लक्षण दिखने शुरू हुए। सिर में और मांसपेशियों में तेज दर्द शुरू हुआ। बुखार बढ़ता गया और शरीर का तापमान 103 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। 

इमरजेंसी में जब चेकअप किया गया तो पता चला कि वैक्सीन के हाईडोज के कारण शरीर में इम्यून रिएक्शन हो गया है। धीरे-धीरे बुखार उतरा और अगले दिन सुबह सब कुछ सामान्य रहा। 

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