लाइव न्यूज़ :

कोरोना के इलाज पर सरकार की नई गाइडलाइन: कब जाएं डॉक्टर के पास, कब है टेस्ट की जरूरत, जानें सबकुछ

By विनीत कुमार | Updated: January 18, 2022 12:15 IST

Coronavirus treatment: कोरोना के इलाज को लेकर जारी संशोधित दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि डॉक्टरों को हर संभव एस्टरॉइड्स (steroids) के इस्तेमाल से बचना चाहिए।

Open in App
ठळक मुद्देकोरोना के इलाज को लेकर नई गाइडलाइन में डॉक्टरों से एस्टरॉइड्स देने से बचने को कहा गया है।गाइडलाइन के अनुसार स्टेरॉइड्स जैसी दवाएं 'ब्लैक फंगस' जैसे संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।Remdesivir देने की सिफारिश पर हल्के लक्षण वाले या घर में आइसोलेश में रह रहे मरीज इसका इस्तेमाल नहीं करें

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के इलाज के दौरान डॉक्टरों को अपने मरीजों को एस्टरॉइड्स (steroids) देने से बचना चाहिए। सरकार ने कोरोना के इलाज को लेकर अपनी संशोधित क्लीनिकल गाइडलाइन में ये बात कही है। कोरोना पर टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने दूसरी लहर के दौरान अत्यधिक दवाओं के इस्तेमाल पर हाल में चिंता जताई थी।

संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्टेरॉइड्स जैसी दवाएं इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस या 'ब्लैक फंगस' जैसे संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। ऐसा आमतौर पर उस समय होता है जब बहुत जल्दी या ज्यादा खुराक या फिर जरूरत से अधिक समय तक ऐसे दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

हल्के, सामान्य और गंभीर मामलों के लिए दिशा-निर्देश

सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश कोरोना संक्रमण के अलग-अलग मामलों के लिए हैं। इसे तीन हिस्सों- हल्के, सामान्य और गंभीर संक्रमण के मामलों में बांटा गया है। इसमें कहा गया है कि अगर खांसी दो या तीन हफ्तों से ज्यादा समय तक जारी रहता है तो मरीज को ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) और अन्य जांच आदि कराने चाहिए।

हल्के लक्षण क्या हैं और ऐसे मरीज क्या करें

संशोधित गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मरीज जिन्हें कोरोना संक्रमण होने के बावजूद सांस लेने में तकलीफ महसूस नहीं हो रही या हाइपोक्सिया (Hypoxia) जैसे लक्षण नहीं हैं, उन्हें हल्के संक्रमण में गिना जा सकता है। ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन में रहकर अपना ध्यान रखना चाहिए।

हल्के लक्षण से पीड़ित ऐसे लोग जिन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तेज बुखार, या पांच दिनों से अधिक समय तक तेज खांसी है, उन्हें डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए।

सामान्य और गंभीर कोरोना संक्रमण के लक्षण क्या हैं?

ऐसे मरीज जिनका ऑक्सीजन स्तर 90-93 प्रतिशत के बीच ऊपर-नीचे हो रहा है और सांस लेने में भी तकलीफ महसूस हो रही है, उसे सामान्य या मध्यम स्तर का संक्रमण माना जाएगा। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाना चाहिए।

गाइडलाइन में कहा गया है कि 30 प्रति मिनट से अधिक श्वसन दर, सांस फूलना या ऑक्सीजन स्तर के 90 प्रतिशत से कम होने को गंभीर माना जाना चाहिए। ऐसे मरीजों को आईसीयू में भर्ती कराना होगा क्योंकि इन्हें रेस्पायरेट्री सपोर्ट की जरूरत होगी।

मध्यम या गंभीर मामलों में Remdesivir किया जा सकता है इस्तेमाल

संशोधित दिशानिर्देश में आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) के तहत 'मध्यम से गंभीर' लक्षण वाले मरीजों को शुरुआत के 10 दिनों के भीतर रेमेडिसिविर (Remdesivir) दिया जा सकता है। साथ ही कहा गया है कि ऐसे मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं हैं या घर में हैं, उन्हें इसकी जरूरत नहीं है।

इसके अलावा गंभीर संक्रमण या आईसीयू में भर्ती के 24 से 48 घंटों के भीतर टोकिलिजुमैब (Tocilizumab) दवा के ऑफ-लेबल या ईयूए उपयोग पर भी विचार किया जा सकता है।

टॅग्स :कोरोना वायरसकोविड-19 इंडियाकोरोना वायरस इंडिया
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यCOVID-19 infection: रक्त वाहिकाओं 5 साल तक बूढ़ी हो सकती हैं?, रिसर्च में खुलासा, 16 देशों के 2400 लोगों पर अध्ययन

भारत'बादल बम' के बाद अब 'वाटर बम': लेह में बादल फटने से लेकर कोविड वायरस तक चीन पर शंका, अब ब्रह्मपुत्र पर बांध क्या नया हथियार?

स्वास्थ्यसीएम सिद्धरमैया बोले-हृदयाघात से मौतें कोविड टीकाकरण, कर्नाटक विशेषज्ञ पैनल ने कहा-कोई संबंध नहीं, बकवास बात

स्वास्थ्यमहाराष्ट्र में कोरोना वायरस के 12 मामले, 24 घंटों में वायरस से संक्रमित 1 व्यक्ति की मौत

स्वास्थ्यअफवाह मत फैलाओ, हार्ट अटैक और कोविड टीके में कोई संबंध नहीं?, एम्स-दिल्ली अध्ययन में दावा, जानें डॉक्टरों की राय

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार

स्वास्थ्यकश्‍मीर की हवा, कोयला जलाने की आदत, आंखों में जलन, गले में चुभन और सांस लेने में दिक्कत?

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत