कोरोना वायरस के आम लक्षणों में सांस संबंधी समस्याएं जैसे सांस में कमी, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, खांसी, नाक बहना आदि शामिल हैं। अधिक गंभीर मामलों में, संक्रमण से निमोनिया, सेवेर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, किडनी फेलियर भी शामिल हैं। यही लक्षण फ्लू के भी हैं। येही वजह है कि लोग फ्लू के लक्षणों को अब गंभीरता से ले रहे हैं और जांच कराने डॉक्टर के पास भाग रहे हैं।
हालांकि कुछ लोग इस तरह के लक्षणों को देख कर घबरा रहे हैं कि कहीं वो कोरोना के लक्षण तो नहीं है और डॉक्टर के पास नहीं जा रहे। खैर, भारत में प्राइवेट सेंटरों पर कोरोना की जांच की कीमत पांच हजार रुपये तय की गई है। अगर आप डॉक्टर के पास जाकर टेस्ट नहीं कराना चाहते हैं, तो अपोलो हॉस्पिटल ने आपके लिए खुद की जांच का एक बेहतर और आसान रास्ता निकाला है।
अपोलो अस्पतालों ने कोरोनो वायरस संक्रमण होने के जोखिम का अनुमान लगाने के लिए एक 24x7 स्व-मूल्यांकन परीक्षण, कोरोनोवायरस रिस्क स्कैन (Coronavirus Risk Scan) शुरू किया है। इसमें आपके लक्षणों के आधार पर यह पता चल सकता है कि क्या वाकई आपको कोरोना के लक्षण हैं या अन्य रोग के। दरअसल इसमें लक्षणों के आधार पर स्कोरिंग सिस्टम से यह तय किया जाएगा। हिन्दू बिजनेस ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपोलो ने इस ऑनलाइन टेस्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण भारत की सलाह के आधार पर तैयार किया है।
अपोलो के वेबसाइट पर साफ-साफ लिखा है, '"नमस्ते! हमने डब्ल्यूएचओ और एमएचएफडब्ल्यू भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के आधार पर) कोरोना वायरस की जांच के लिए 'सेल्फ-अस्सेस्मेंट स्कैन' को विकसित किया गया है। इस बातचीत को विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
यह कैसे काम करता हैयह स्कैन सिस्टम उम्र, लिंग, छींकने से गले में खराश और सूखी खाँसी, शरीर का वर्तमान तापमान, यात्रा का इतिहास, अतीत की बीमारी और डायबिटीज, फेफड़े के रोगों, गुर्दे की बीमारियों और उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों से संबंधित आठ सवालों से बना है।
सिस्टम इन सवालों के आधार पर मिले नंबरों के आधार पर जोखिम तय करता है। इसमें कम और ज्यादा नंबर के मामले में आवश्यक दिशा-निर्देश का सुझाव भी दिया गया है। यूजर्स इससे यह आकलन कर सकते हैं कि उन्हें एक चिकित्सक से मिलने या परीक्षण करने की आवश्यकता है या नहीं।
कोरोना वायरस के लक्षण
डॉक्टर के अनुसार, 'कोरोना वायरस के लक्षण भी फ्लू के जैसे ही हैं। इस वायरस के सामान्य संकेत और लक्षणों में सांस संबंधी समस्याएं जैसे सांस में कमी, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, खांसी, नाक बहना आदि शामिल हैं। अधिक गंभीर मामलों में, संक्रमण से निमोनिया, सेवेर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, किडनी फेलियर यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
फ्लू और कोरोना के लक्षणों की पहचान कैसे करें
डॉक्टर के अनुसार, बेशक फ्लू और कोरोना के लक्षण एक जैसे हैं लेकिन आप इनके बीच के अंतर को समझ सकते हैं। पहला अंतर यह है कि फ्लू के लक्षण एक या दो या तीन दिन में सही होने लगते हैं जबकि कोरोना के मामले में ऐसा नहीं होता है। दूसरा, कोरोना के लक्षण गंभीर होते चले जाते हैं और इससे गले में तेज खराश होने लगती है जिसमें तेज जलन, चुभन और दर्द शामिल है।
आमतौर पर फ्लू में होने वाली गले की खराश दो दिन में ठीक हो जाती है लेकिन फ्लू होने पर इसमें तेज दर्द होने लगता है। इसका कारण यह है कि कोरोना वायरस नाक और गले में जाकर पहले मल्टीप्लाई होता है और उसके बाद शरीर के एनी अंगों पर आक्रमण करता है। ऐसा होने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।
डॉक्टर के अनुसार, 'देश के अधिकतर डॉक्टर कोरोना और फ्लू के लक्षणों के अंतर को समझते हैं। इसलिए लक्षण बिगड़ने पर डॉक्टर से मिलें और उसके कहने पर ही कोरोना का टेस्ट कराएं।