Coronavirus Test: भारत में टेस्ट किट की कमी को देखते हुए अंडमान और निकोबार प्रशासन ने कोरोना वायरस की जांच करने के लिए 'पूल टेस्टिंग' (Pool Testing) की शुरुआत की है। यह एक ऐसा मेथड है जिसके जरिये एक ही बार में कई लोगों का जांच की जा सकती है। भारत में ऐसा करने वाला यह पहला केंद्र शासित प्रदेश है।
कोरोना संकट के बीच यह भारत के लिए अच्छी खबर है। कोरोना से घबराकर पूरी दुनिया एक से एक बेहतर इनोवेशन कर रही है। अमेरिका और इंडिया में पहले जुगाड़ करके एक वेंटीलेटर से 8 लोगों को सपोर्ट करने का तरीका इस्तेमाल में आया। अब एक दूसरी जुगाड़ तकनीक पूल टेस्टिंग है।
कोरोना वायरस की टेस्ट किट की कमी के चलते भारत में पर्याप्त मात्रा में टेस्ट नहीं हो रहे हैं। यही वजह है कि यहां टेस्टिंग की स्पीड पापुलेशन के हिसाब से बहुत ज्यादा स्लो है।
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस पद्धति को मंजूरी दे दी है और कई राज्यों में इसे शुरू कर दिया गया है।
पूल टेस्टिंग क्या है?
इकोनॉमिक टाइम के अनुसार, पूल टेस्टिंग में कई लोगों के स्वैब सैम्पल्स को इकठ्ठा कर के एक ही बार में टेस्ट कर दिया जाता है। इसमें एक एक सैंपल को टेस्ट करने की बजाय 64 सैम्पल्स को मिक्स किया जाएगा और उस मिक्सचर को टेस्ट किया जाएगा। अगर ये नेगेटिव आया तो सारे 64 एक ही बार में पास हो गए। अगर पॉजिटिव आया तो उन सभी 64 लोगों का एक एक करके टेस्ट किया जाएगा।
पूल टेस्टिंग का क्या फायदा है?
कोरोना की जांच के लिए देश में टेस्ट किट की किल्लत है। हालांकि पिछले हफ्ते से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट शुरू करने की बीत भी चली थी लेकिन किट नहीं मिलने की वजह से यह काम भी लटक गया है।
फिलहाल कोरोना की जांच के लिए जो तरीका अपनाया जा रहा है उसकी रिपोर्ट आने में कम से कम पांच दिनों का समय लगता है। हालांकि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट का रिजल्ट आने का समय पंद्रह मिनट बताया गया है।
अगर बात करें पूल टेस्टिंग की तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे ना केवल लैब्स पर बोझ कम होगा बल्कि एक ही बार में कई लोगों की जांच हो सकेगी. इसके अलावा हॉटस्पॉट बन चुके स्थानों में भी यह फायदेमंद साबित हो सकता है।
यहां एक किट के जरिये पांच सैंपल लिए जा रहे हैं यानी 100 सैंपल के लिए केवल 25 किट का इस्तेमाल हो रहा है। इसका मतलब यह है कि 75 किट की बचत हो रही है।
बताया जाता है कि यह आइडिया इजराइल की एक साइंटिस्ट को आया था जिसने इसे 64 लोगों पर इकठ्ठा टेस्ट करके दिखाया। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए ये पूल टेस्टिंग वरदान साबित हो सकती है।
भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 9,205 हो गए हैं जबकि 331 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि 1,080 मरीज सही होकर अपने घर जा चुके हैं।