कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस खतरनाक वायरस से दुनियाभर में अब तक 586,839 लोगों की मौत हो गई और 13,692,609 लोग संक्रमित हो गए हैं। चीन से निकले इस वायरस का भी तक कोई इलाज नहीं मिला है. हालांकि कई दवाओं और वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है लेकिन यह नहीं का सकता है कि इसके पक्के इलाज के दवा कब तक आ पाएगी।
फिलहाल डॉक्टर्स अन्य बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इस बीच हिब्रू विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा 'फेनोफाइब्रेट' कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के स्तर को सामान्य जुकाम के स्तर का करने में मददगार है।
फेफड़ों के फैट को खत्म करती है दवायह दावा संक्रमित मानव कोशिका पर दवा के इस्तेमाल के बाद किया गया। विश्वविद्यालय के ग्रास सेंटर ऑफ बायोइंजीनियरिंग में निदेशक प्रोफेसर याकोव नाहमियास ने न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में बेंजामिन टेनोएवर के साथ संयुक्त शोध में पाया कि नोवेल कोरोना वायरस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में वसा का जमाव हो जाता है, जिसे दूर करने में फेनोफाइब्रेट मददगार है।
टेस्टिंग में सफल होने पर कोरोना का जोखिम हो सकता है कमविश्वविद्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में नाहमियास की ओर से कहा गया, 'हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं यदि उसकी पुष्टि नैदानिक शोधों में भी होती है तो इस उपचार से कोविड-19 का जोखिम कम हो जाएगा और यह सामान्य जुकाम की तरह हो जाएगा।
फेफड़ों पर अटैक करता है कोरोनादोनों शोधकर्ताओं ने देखा कि सार्स-सीओवी-2 स्वयं को बढ़ाने के लिए मरीजों के फेफड़ों में किस तरह से बदलाव करता है। उन्होंने पाया कि वायरस कार्बोहाइड्रेट को जलने से रोकता है जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों की कोशिकाओं में वसा का जमाव हो जाता है और यही परिस्थिति वायरस के बढ़ने के लिए अनुकूल होती है।
उन्होंने कहा, 'इसीलिए डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।' फेनोफाइब्रेट फेफड़ों की कोशिकाओं को फैट जलाने में मदद करती है और इस तरह इन कोशिकाओं पर वायरस की पकड़ कमजोर हो जाती है।
पांच दिन में वायरस हो गया गायबशोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस दिशा में महज पांच दिन तक किए गए उपचार से वायरस लगभग पूरी तरह गायब हो गया। विश्वविद्यालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका विकसित करने के कई प्रयास चल रहे हैं लेकिन शोध बताते हैं कि टीके से मरीज का इस संक्रमण से बचाव महज कुछ महीनों के लिए ही होता है। इसलिए कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वायरस के हमले से बचाने से कहीं अधिक आवश्यक वायरस को बढ़ने से रोकना है।