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कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 1000 के पार, अब हवा के जरिये भी फैल रहा है वायरस

By भाषा | Updated: February 11, 2020 09:50 IST

अभी तक यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर ही दूसरे लोगों में फैल रह रहा था लेकिन अब जो खबर सामने आई है उसने पूरी दुनिया के लोगों की नींद उड़ा दी है। 

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चीन में घातक कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 1,000 के पार पहुंच गई है और इसके अभी तक 42,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि सोमवार को इससे 108 और लोगों की जान चली गई और 2,478 नए मामले सामने आए। आयोग के अनुसार इससे अब तक कुल 1,016 लोगों की जान जा चुकी है और कुल 42,638 मामलों की पुष्टि हुई है। 

उसने बताया कि शनिवार को जिन 108 लोगों की जान गई उनमें से 103 हुबेई प्रांत के थे, जहां इस विषाणु के कारण सबसे अधिक लोग मारे गए हैं। इसके अलावा बीजिंग, तिआंजिन, हीलोंगजियांग, अनहुइ और हेनान में इससे एक-एक व्यक्ति की जान गई है। वहीं कुल 3,996 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है। 

उसने बताया कि सोमवार को 849 मरीज गंभीर रूप से बीमार हो गए, 7,333 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है और 21,675 लोगों के इससे संक्रमित होने की आशंका है। हांगकांग में सोमवार तक इसके 42 मामले सामने आ चुके थे, जहां इससे एक व्यक्ति की जान भी जा चुकी है। मकाउ में 10 और ताइवान में इसके 18 मामले सामने आए हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूचओ) के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम भी सोमवार रात चीन पहुंची जो कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने में चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद करेगी। कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है लेकिन इनमें से केवल छह विषाणु ही लोगों को संक्रमित करते हैं। इसके सामान्य प्रभावों के चलते सर्दी-जुकाम होता है लेकिन सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) ऐसा कोरोनावायरस है जिसके प्रकोप से 2002-03 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हो गई थी। 

अभी तक यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर ही दूसरे लोगों में फैल रह रहा था लेकिन अब जो खबर सामने आई है उसने पूरी दुनिया के लोगों की नींद उड़ा दी है। 

एनटीडी के अनुसार, शंघाई के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि करोना वायरस अब हवा में मौजूद नमी में मिलकर फैलने लगा है और वह हवा में तैरते हुए दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है जिसे एयरोसोल ट्रांसमिशन कहा जा रहा है। बता दें कि सेवेर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स), खसरा, और एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा भी एरोसोल के माध्यम से फैलने में सक्षम हैं, जो एक विस्तारित अवधि के लिए हवा में रह सकते हैं। 

अभी तक यह वायरस दो तरीकों से फैल रहा था। पहला, पीड़ित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने पर। इसमें संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसना और छींकना शामिल है। दूसरा, अगर पीड़ित व्यक्ति अपना मुंह, नाक या आंखों की झिल्लियों को हाथ लगाने के बाद किसी वस्तु को छूता है और उस वस्तु को दूसरा व्यक्ति छूता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने से पास के व्यक्ति में संक्रमण पहुंचने की भी पुष्टि पहले ही हो चुकी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के एक विशेषज्ञ, जियांग रोंगमेंग ने हालिया सम्मेलन में कहा कि पर्यावरण के आधार पर, वर्तमान वैज्ञानिक आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोनोवायरस सतहों पर कई घंटों या पांच दिनों तक जीवित रह सकता है।  

हाल ही में शंघाई सिविल अफेयर्स ब्यूरो के डेप्युटी हेड ने बताया कि 'एयरोसोल ट्रांसमिशन का मतलब है कि वायरस हवा में मौजूद सूक्ष्म बूंदों से मिलकर एयरोसोल बना रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि इससे सांस लेने के कारण संक्रमण हो रहा है। लोगों को साफ कह दिया गया है कि इस वायरस से बचने के लिए वह जरूरी उपाय अपनाएं और लोगों में जागरुकता बढ़ाएं।

कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है लेकिन इनमें से केवल छह विषाणु ही लोगों को संक्रमित करते हैं। इसके सामान्य प्रभावों के चलते सर्दी-जुकाम होता है लेकिन ‘सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (सार्स) ऐसा कोरोनावायरस है जिसके प्रकोप से 2002-03 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हो गई थी।

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