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WHO का दावा, भारत में कोविड-19 जांच की दर दूसरे देशों की तुलना में काफी कम, कोरोना से लड़ने के 10 उपायों को अपनाने की सलाह

By भाषा | Updated: August 4, 2020 18:58 IST

coronavirus precaution tips: डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों के कुछ सुझाव दिए हैं जिन्हें अपनाकर कोरोना से लड़ने में काफी हद तक मदद मिल सकती है

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ठळक मुद्देवायरस पर सफलतापूर्वक लगाम कसने का प्रयास करने वाले कुछ देशों की तुलना में भारत में जांच की दर कमअमेरिका में भी बड़ी संख्या में लोगों की जांच हो रही हैआठ से दस मानक हैं जिन पर सरकार को लगातार नजर रखने की जरूरत

भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और रोजाना करीब 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन एक अस्थायी उपाय था और वायरस पर सफलतापूर्वक लगाम कसने का प्रयास करने वाले कुछ देशों की तुलना में भारत में जांच की दर कम है।

दूसरे चरण में पहुंच चुके हैं पांच टीके

डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से एक संवाद सत्र के दौरान कहा कि अभी तक कोविड-19 का टीका बनाने के लिए 28 उम्मीदवार पर क्लीनिकल जांच चल रही है, जिनमें से पांच दूसरे चरण में प्रवेश कर चुके हैं और पूरी दुनिया में 150 से अधिक उम्मीदवार क्लीनिकल जांच के पूर्ववर्ती चरण में हैं।

भारत में जांच की दर काफी कम

उन्होंने कहा, ‘‘जर्मनी, ताईवान, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे देशों की तुलना में भारत में जांच की दर काफी कम है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका में भी बड़ी संख्या में लोगों की जांच हो रही है। इसलिए हमारे पास कुछ मानक होने चाहिए और हर जनस्वास्थ्य विभाग के लिए जरूरी है कि मानदंड बनाए कि प्रति लाख या प्रति दस लाख पर जांच की दर क्या है, पॉजिटिव पाए जाने की दर क्या है।’’

बिना जांच कोरोना से लड़ना मुश्किल

उन्होंने कहा कि पर्याप्त संख्या में जांच किए बगैर वायरस से लड़ना ‘‘आंख पर पट्टी बांधकर आग से लड़ने’’ के समान है। स्वामीनाथन के मुताबिक कोविड-19 की जांच में अगर पॉजिटिव पाए जाने की दर पांच फीसदी से अधिक है तो पर्याप्त संख्या में जांच नहीं हो रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने बताये कोरोना से लड़ने के उपाय

उन्होंने कहा कि सरकारों को बिस्तरों की उपलब्धता, पृथक-वास सुविधाओं, आईसीयू और जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर लगातार नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘आठ से दस मानक हैं जिन पर सरकार को लगातार नजर रखने की जरूरत है। और जमीनी हकीकत के मुताबिक आप सुविधाएं घटा-बढ़ा सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय अब भी कोरोना वायरस के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन कर रहा है और अगले 12 महीने जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों को ठीक करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दुनिया के हर देश में वायरस फैल चुका है और ‘‘सामुदायिक संचरण’’ की स्थिति में है।

लॉकडाउन कोरोना को रोकने का अस्थायी उपाय

डब्ल्यूएचओ की अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें पता है कि लॉकडाउन अस्थायी उपाय है जो प्रसार को कम करता है क्योंकि यह लोगों को एक-दूसरे के नजदीक आने से रोकता है और लॉकडाउन से सरकार को वायरस से निपटने में व्यवस्था दुरूस्त करने का समय मिल जाता है।’’

टीके के जारी परीक्षण के बारे में स्वामीनाथन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने इस पर दिशानिर्देश जारी किए हैं और अगर टीके के सटीक प्रभाव की दर 70 फीसदी रही तो इसे अच्छा माना जाता है। कोविड-19 का टीका कोवैक्सीन बना रहे भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा इल्ला ने कहा कि केंद्र को तेजी से मंजूरी देने के लिए केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन जैसे कुछ नियामक प्राधिकरणों का विकेंद्रीकरण करने की जरूरत है। सत्र के संचालक तेलंगाना के आईटी एवं उद्योग मंत्री के. टी. रामा राव थे, जिसका विषय था ‘वैक्सीन रेस- बैलेंसिंग साइंस एंड अर्जेंसी।’  

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