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देश में सिर्फ 3 महीने में हुए करीब 70 लाख लोग संक्रमित, कुल मामले 90 लाख के पार, दिल्ली में इन 5 वजहों से बढ़ा कोरोना ग्राफ

By उस्मान | Updated: November 21, 2020 12:55 IST

जिस तेजी से दिल्ली में कोरोना के मामले और मरने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है उसे देखते हुए इसे कोरोना की राजधानी कहना गलत नहीं होगा

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ठळक मुद्देदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 90,50,597 हो गईमरने वालों का आंकड़ा 1,32,726 हुआरोगियों के संक्रमणमुक्त होने की राष्ट्रीय दर 93.67 फीसदी

देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 90,50,597 हो गई है और मरने वालों का आंकड़ा 1,32,726  हो गया है। साथ ही देश में लोगों के ठीक होने की दर 93.67 प्रतिशत हो गयी है। 

ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 85 लाख के पासस्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में 4,39,747 रोगी उपचाराधीन हैं, जो संक्रमित मरीजों की कुल संख्या का 4।86 प्रतिशत है। आंकड़ों में कहा गया है कि सफल उपचार के बाद देश में संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों की संख्या 84,78,124 पर पहुंच गयी है। 

देश में मृत्यु दर 1.47 फीसदी रोगियों के संक्रमणमुक्त होने की राष्ट्रीय दर 93.67 प्रतिशत हो गयी है, जबकि मृत्यु दर 1.47 फीसदी है। 

अगस्त तक थे करीब 20 लाख केसदेश में कोविड—19 से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या सात अगस्त को 20 लाख को पार कर गयी थी । इसके बाद 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितंबर को 40 लाख को पार कर गयी थी । इसमें कहा गया है कि 16 सितंबर को 50 लाख, 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख एवं 29 अक्टूबर को 80 लाख को पार कर गयी थी।

अब तक 13.06 करोड़ नमूनों की जांचभारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, 20 नवंबर तक 13.06 करोड़ नमूनों की जांच की जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कुल मरने वाले लोगों में से 70 प्रतिशत से अधिक लोगों की मौत पुरानी बीमारियों के कारण हुई है।

देश की राजधानी में कोरोना के मामले बढ़ने के बड़े कारण

कोरोना के प्रकोप ने देश की राजधानी दिल्ली में एक गंभीर मोड़ ले लिया है। बढ़ते प्रदूषण के साथ, कोरोना रोगियों की बढ़ती संख्या ने दिल्ली में सरकार और प्रशासन के लिए एक गंभीर समस्या खड़ी कर दी है।  

लॉकडाउन में जल्दी रियायत दिल्ली में जब कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे थे तभी सरकार ने लॉकडाउन में रियायत दे दी थी। दिल्ली बाजारों और शराब की दुकानों पर प्रतिबंध हटाने वाला पहला शहर था। 

फेस्टिव सीजनकई शहरों में त्योहारी सीजन के दौरान लॉकडाउन में कोई रियायत नहीं दी है। दिल्ली में फेस्टिव सीजन में बाजारों और सड़कों पर खूब भीड़ देखी गई जिसके चलते कई मुख्य बाजारों को बंद भी करना पड़ा। उत्सव के दिनों में भीड़ के कारण कोरोना रोगियों की संख्या में वृद्धि होती है।

सिर्फ रैपिड एंटीजन जांच पर निर्भर रहनाकोरोना संक्रमण में जांच भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दिल्ली में रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में किए गए दो-तिहाई परीक्षण एंटीजन थे। एंटीजन टेस्ट को RT-PCR से कम विश्वसनीय माना जाता है।

अस्पतालों में बेद नहीं होनादिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी के रूप में, केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों से स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं की सुविधा है। हालांकि, दिल्ली में पर्याप्त आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं हैं। मुंबई जैसे बड़े शहर की तुलना में, दिल्ली में कोई विशेष कोविड अस्पताल स्थापित नहीं किए गए हैं।

वायु प्रदूषण भारतीय चिकित्सा संघ कहा कि दिल्ली में पिछले रोजाना कोरोना वायरस के बढ़ते कुल मामलों में 13 प्रतिशत बढ़ोतरी वायु प्रदूषण के कारण होने का अनुमान है। आईएमए ने कहा कि N-95 मास्क और एयर प्यूरीफायर पूरी तरह बचाव नहीं कर सकते। वायु प्रदूषण फेफड़ों के आंतरिक भाग को नुकसान पहुंचाता है और इससे कोविड-19 संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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