भारतीय वैज्ञानिक का कोरोना और गर्मी को लेकर बड़ा खुलासा, क्या भीषण गर्मी में मिट जाएगा वायरस का नामोनिशान?

By भाषा | Published: May 12, 2020 02:28 PM2020-05-12T14:28:16+5:302020-05-12T14:38:42+5:30

भारतीय वैज्ञानिक का कहना है कि गर्मी में कोरोना वायरस के संक्रमण की दर कम होने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता

Coronavirus and summer: Corona can stop spreading in hot temperatures, know what Indian scientist said | भारतीय वैज्ञानिक का कोरोना और गर्मी को लेकर बड़ा खुलासा, क्या भीषण गर्मी में मिट जाएगा वायरस का नामोनिशान?

भारतीय वैज्ञानिक का कोरोना और गर्मी को लेकर बड़ा खुलासा, क्या भीषण गर्मी में मिट जाएगा वायरस का नामोनिशान?

भारतीय विषाणु वैज्ञानिक नगा सुरेश वीरापु ने कहा कि गर्मी में कोरोना वायरस के संक्रमण की दर कम होने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता लेकिन यह मानना कि गर्मी में यह समाप्त हो जाएगा पूरी तरह से निराधार है। भारत में गर्म और आर्द्र मौसम के आने से कुछ लोगों की उम्मीद बढ़ी है कि कोविड-19 के संक्रमण में कमी आएगी लेकिन वीरापु का मानना है कि वायरस का उभार और महामारी अक्सर मौसम पर आश्रित नहीं होती।

उत्तर प्रदेश स्थित शिव नादर विश्वविद्यालय के जीवविज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर वीरापु ने रेखांकित किया कि कोविड-19 से फैली महामारी में मौसम के आधार पर बदलाव के बारे में बात करना अभी बेहद जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह समझा जा सकता है कि उच्च तापमान से कोरोना वायरस के संक्रमण में कमी आएगी लेकिन गर्मी में वायरस के पूरी तरह के खत्म होने की धारणा पूरी तरह से निराधार है।’’

उल्लेखनीय है कि अप्रैल महीने में अमेरिका स्थित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने घोषणा की थी कि गर्म आर्द्र मौसम का संबंध कोविड-19 की संक्रमण दर के धीमा होने से है जिससे संकेत मिलता है कि एशियाई देशों, जहां मानसून की वर्षा होती है, वहां पर वायरस का प्रभाव कम होगा। इस अध्ययन में विभिन्न देशों में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या का आकलन किया और उसकी तुलना विभिन्न इलाकों के तापमान और आर्द्रता के आधार पर की गई।

इसी प्रकार अमेरिकी प्रशासन के एक लोक स्वास्थ्य अधिकारी ने हाल में घोषणा की थी कि अध्ययन में पाया गया कि सूर्य की रोशनी, उष्मा और आर्द्रता से ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है जो कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के अनुकूल नहीं है।

अमेरिकी आतंरिक सुरक्षा मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी निदेशालय द्वारा किए गए इस अध्ययन के नतीजों से भारत जैसे देशों को राहत मिली थी जहां पर गर्म और आर्द्र मौसम होता है। पिछले हफ्ते कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में कहा गया कि तापमान और अक्षांश का संबंध कोविड-19 की बीमारी के प्रसार में नहीं है। साथ ही कहा गया कि स्कूलों को बंद करने और जन स्वास्थ्य के लिए उठाए गए कदमों से कोविड-19 को नियंत्रित करने में मदद मिली। वीरापु ने कहा कि गर्म मौसम की वजह से कोरोना वायरस के संक्रमण में कमी आने और भारत को कोविड-19 की बीमारी को नियंत्रित करने का मौका मिलने की संभावना खारिज नहीं किया जा सकती है।

उन्होंने इसके साथ ही कहा कि गर्म मौसम के बावजूद इंसान से इंसान में कोरोना वायरस का संक्रमण घर के भीतर और बंद स्थानों पर फैलना जारी रहेगा। वीरापु ने कहा, ‘‘इसलिए भारत में वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपनाए जा रहे उपायों को तबतक कायम रखना चाहिए जबतक स्थायी रूप से नये संक्रमितों की संख्या स्थिर नहीं हो जाए।’’ उन्होंने बताया कि पहले कई संक्रामक बीमारियों के मौसम के आधार पर उभरने और समाप्त होने की चलन देखी गई है।

उदाहरण के लिए फ्लू सर्दियों के मौसम में उभरता है, इसी तरह नोरोवायरस है जबकि टाइफाइड का प्रभाव गर्मियों में अधिक देखने को मिलता है। वीरापु ने कहा, ‘‘प्रकृति में प्रत्येक जैविक तत्व या जीव का अपना जीवनकाल होता है और जो तापमान सहित पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं के आधार पर नियंत्रित होते हैं। परिचारक (संक्रमित) के बाहर विषाणु केवल कण की तरह होते हैं।’’ उन्होंने रेखांकित किया कि वायरस जब पर्यावरण में संचरण करते हैं तब उनमें क्रियात्मक बदलाव अपवाद नहीं है।

वीरापु ने कहा, ‘‘ जब संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण की सुक्ष्म बूंदे गर्मी के मौसम में बाहर आती हैं तो उसमें मौजूद वायरस पर नकरात्मक असर हो सकता है। गर्म मौसम की वजह से वायरस निष्क्रिय हो सकता है और यहां तक कि वह बहुत जल्द संक्रमित करने की क्षमता खो सकता है या नष्ट हो सकता है।’’ गुरुग्राम स्थित पारस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक राजेश कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में कोरोना वायरस के व्यवहार के बारे में हमारी जानकारी सीमित है।

कुमार ने कहा, ‘‘अभी तक हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं कि कोविड-19 किसी चीज से कैसे प्रतिक्रिया करता है लेकिन पहले की सूचनाओं के मुताबिक उच्च तापमान का कुछ असर कोरोना वायरस पर होता है और जलवायु की ऐसी परिस्थितियों में सक्रंमण की दर कम हो जाती है।’’

उन्होंने मिडिल ईस्ट रेस्परेटॉरी सिंड्रोम (एमईआरएस) और सिवियर एक्यूट रेस्परेटॉरी सिंड्रोम (सार्स) का उदाहरण देते हुए रेखांकित किया कि इन बीमारियों की वजह कोरोना वायरस है जो उच्च तापमान, आर्द्रता और सूर्य की रोशनी के प्रति संवेदनशील है और ऐसे मौसम में अधिक समय तक जिंदा नहीं रहते। कुमार ने कहा, ‘‘इसी तरह अगर हम विश्व मानचित्र को देखें तो कोरोना वायरस चीन के वुहान से उन देशों में फैला जो उसी अक्षांश पर स्थित हैं और जहां पर वुहान जैसा ही मौसम है।

इन अक्षांशो से नीचे (विषुवत रेखा के करीब) के देशों में कोरोना वायरस ने कम प्रभावित किया है और मौतों की संख्या भी कम है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रयोगशाला में किए गए प्रयोग में पाया गया कि उच्च तापमान और आर्द्रता में संबंध है और इन परिस्थितियों में सार्स वायरस के जिंदा रहने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि, रिपोर्ट में रेखांकित किया गया कि तापमान, आर्द्रता के अलावा भी कई पहलु हैं जिसपर वायरस के परिचारक के शरीर से बाहर जिंदा रहने की अवधि निर्भर करती है।  

English summary :
Indian scientist Naga Suresh Veerapu said that the possibility of lowering the rate of infection of coronavirus in summer cannot be ruled out but to believe that it will be eliminated in summer is completely baseless.


Web Title: Coronavirus and summer: Corona can stop spreading in hot temperatures, know what Indian scientist said

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