पोलियो की तुलना में वैश्विक स्तर पर कोविड-19 का उन्मूलन ज्यादा व्यावहारिक है लेकिन चेचक की तुलना में इसे रोक पाना मुश्किल है। ‘बीएमजे ग्लोबल हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित एक विश्लेषण में यह कहा गया है।
न्यूजीलैंड में ओटागो विश्वविद्यालय, वेलिंगटन के लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उल्लेख किया कि टीकाकरण, सार्वजनिक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल उपाय और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में वैश्विक रुचि कोविड-19 के उन्मूलन के सभी प्रयासों को संभव बनाते हैं।
उन्होंने कहा, हालांकि प्रमुख चुनौती टीकाकरण के व्यापक दायरे को सुनिश्चित करना है जो कोविड-19 बीमारी के कारक सार्स-सीओवी-2 के सभी स्वरूपों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से बढ़ा सके। लेखकों ने कोविड-19 उन्मूलन की व्यवहारिकता का आकलन किया और इसे दुनिया भर में शून्य मामला तक लाने के स्थायी उन्मूलन के योग्य बताया।
उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार तकनीकी, सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक कारकों समेत कई पहलुओं का उपयोग करते हुए इसकी तुलना दो अन्य संक्रामक रोगों चेचक और पोलियो से की जिनके टीके उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि विश्लेषण में औसत अंक चेचक के लिए 2.7, कोविड-19 के लिए 1.6 और पोलियो के लिए 1.5 था। वर्ष 1980 में चेचक के उन्मूलन की घोषणा हुई थी और पोलियो वायरस के तीन स्वरूपों में से दो को विश्व स्तर पर मिटा दिया गया है।
अभी खत्म नहीं वाली कोरोना महामारी, जल्द करना होगा यह काम
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा ने अमेरिका सहित दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में हालत खराब किये हुए हैं। एक्सपर्ट्स कोरोना के इस रूप को खतरनाक बता रहे हैं। बेशक टीकाकरण शुरू हो गया है लेकिन अभी कोरोना खत्म नहीं होने वाला है।
महामारी वैज्ञानिक लैरी ब्रिलियंट ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी अभी खत्म नहीं होने वाली है बल्कि यह तो शुरुआत है। ब्रिलियंट विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने चेचक को मिटाने में मदद की थी।
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिलियंट ने सीएनबीसी को बताया, 'मुझे लगता है कि हम (महामारी के) अंत की तुलना में शुरुआत के करीब हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस कोरोना के जिस वैरिएंट को हम अभी देख रहे हैं वह लंबे समय तक चलने वाला है।
उन्होंने कहा कि जब तक 200 से अधिक देशों में सभी को टीका नहीं लगाया जाता है, तब तक कोरोना के नए वैरिएंट इन्फ्लूएंजा की तरह 'हमेशा के लिए वायरस' बन जाएंगे।
अमेरिका में रोजाना के कोरोना के नए मामले छह महीने के उच्च स्तर पर चढ़ गए हैं। देश भर में 100,000 से अधिक मामले मिले हैं। डेल्टा संस्करण ने फ्लोरिडा और अन्य ऐसे राज्यों को तबाह कर दिया है, जहां कम टीकाकरण हुआ है। दक्षिण पूर्व एशिया के देश भी बढ़ते मामलों की रिपोर्ट कर रहे हैं।
आसानी से फैलता है डेल्टा वैरिएंटवायरस लगातार उत्परिवर्तन के माध्यम से विकसित होते हैं, नए प्रकार उत्पन्न होते हैं। कभी-कभी ये असली से ज्यादा खतरनाक होते हैं। डेल्टा संस्करण के बारे में प्रमुख चिंता यह नहीं है कि यह लोगों को बीमार बनाता है, बल्कि यह कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अधिक आसानी से फैलता है, गैर-टीकाकरण वाले लोगों में संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने में वृद्धि होती है।
डेल्टा से बचने के उपायब्रिलियंट ने कहा कि टीकाकरण को बढ़ावा देने के अलावा, 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और इसलिए उन्हें बूस्टर शॉट्स की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा है कि हमने देखा है कि जब वायरस बुजुर्गों के शरीर से गुजरता है, तो वायरस के कई उत्परिवर्तन होते हैं, इसलिए बुजुर्गों को तुरंत तीसरी खुराक दी जानी चाहिए।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)