पेशाब के जरिये आपके खाने की गुणवत्ता का आसानी से पता लगाया जा सकता है। खाने में कुछ खनिजों का अधिक सेवन पेशाक के रंग और गंध को बदल सकता है। पेशाब से जुड़ी कई समस्याएं हैं जिनमें एक पेशाब का कलाउडी यानी गाढ़ा बादली रंग की तरह धुंधला होना है।
यह समस्या ज्यादातर निर्जलीकरण, मूत्र पथ में संक्रमण या पुरुषों में प्रोस्टेट की सूजन या महिलाओं में योनि की सूजन, यौन संचारित संक्रमण, गुर्दे की पथरी या आहार की अधिकता के कारण होता है।
इस समस्या का इलाज जरूरी है। आप इसके लिए अपने चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं। हालांकि आप अपने खान-पान में बदलाव करके भी इस समस्या से राहत पा सकते हैं। हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं जिनके सेवन से यह समस्या हो सकती है।
अधिक नमकीन चीजें खानाइनमें मुख्य रूप से प्रोसेस्ड चिप्स, डिब्बाबंद भोजन और क्योर्ड मीट शामिल हैं। पर्याप्त पानी नहीं पानी पीना और इन चीजों का अधिक सेवन निर्जलीकरण और बादली पेशाब का कारण बन सकता है।
हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरपयह लगभग हर पैक किए गए खाद्य पदार्थ विशेष रूप से शुगर सोडा और डेसर्ट में होता है. इन चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करने से यूरिक एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है जिससे पेशाब का रंग बादल के रंग का गाढ़ा हो जाता है।
डेयरी उत्पाददूध और डेयरी उत्पादों के अधिक सेवन से शरीर में फास्फोरस की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पेशाब में बादल छा जाते हैं। यह तब तेज हो जाता है जब व्यक्ति को गुर्दे की कोई अंतर्निहित बीमारी होती है।
मांस इसमें रेड मीट और पोल्ट्री शामिल हैं जो फिर से अधिक मात्रा में फॉस्फोरस छोड़ते हैं जो प्रोसेस्ड मीट के रूप में अतिरिक्त नमक के साथ मिलकर मूत्र में बादल जैसी स्थिति पैदा करते हैं।
समुद्री भोजनकुछ प्रकार के समुद्री भोजन जैसे सार्डिन, एंकोवी और शेलफिश में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है जो यूरिक एसिड में मेटाबोलाइज होकर मूत्र का रंग बदल देता है।
शराब और कैफीन अत्यधिक शराब के सेवन से निर्जलीकरण होता है और इसलिए मूत्र के रंग में यह परिवर्तन होता है। कॉफी, चाय सहित काली और कैफीन वाली हरी चाय का अधिक सेवन है जो पानी की कमी का कारण बनता है जिससे निर्जलीकरण होता है।
बादली रंग के पेशाब के लिए घरेलू उपचार
इस समस्या से बचने के लिए आपको अपने खाने-पीने में बदलाव करना चाहिए. आपको ऊपर बताई गई चीजों के बजाय अपने खाने में पानी की मात्रा, बेकिंग सोडा, ब्लूबेरी का रस, अनानास, लाल रंग की खट्टी बेरी का रस, अजमोद, अदरक, धनिये के बीज और विटामिन सी का सेवन बढ़ाना चाहिए।